रवि शास्त्री के साथ मेरा रिश्ता ऑटो-मोड में है क्योंकि हमने बहुत दबाव में काम किया: विराट कोहली
मुंबई : टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली दो टूक अंदाज में कहते हैं कि कड़ी मेहनत नहीं करना कोई विकल्प नहीं है। 30 साल के इस युवा खिलाड़ी की उपलब्धियां भारत की खेल संस्कृति का आज महत्वपूर्ण हिस्सा है। महानतम खिलाड़ियों की कड़ी में खुद को शामिल करने के लिए यह खिलाड़ी हमेशा प्रतिबद्ध रहा। कोहली ने 7 साल पहले ही अपने लिए एक बड़ी भूमिका का फैसला कर लिया था और इस दौरान उनकी यात्रा में रवि शास्त्री लगातार उनके साथ रहे। टीम इंडिया के हेड कोच रवि शास्त्री का जिंदगी और खेल को लेकर नजरिया ठीक वैसा ही है जैसा भारतीय कप्तान विराट कोहली का है। वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले टीम की तैयारियों को लेकर कोहली और शास्त्री ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ लंबी बातचीत की। पेश हैं इस बातचीत के खास अंश...
2018-19 आपके लिए बहुत डिमांडिंग सीजन रहा है। इस वक्त क्रिकेट की सबसे खास ट्रोफी (वर्ल्ड कप) को लेकर सबकी नजरें आप पर टिकी हैं। आपके दिमाग में क्या चल रहा है?
विराट: ये साल बहुत चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन हम सबको जिस तरह हमने इस सत्र में खुद को निखारा उस पर गर्व है। सबसे मुश्किल पड़ाव की तरफ नेतृत्व करते हुए एक युवा टीम के साथ बढ़ने का अनुभव बहुत रोमांचक है। हम इसी सोच के साथ 2018 जनवरी से लेकर अब तक हर सीरीज में उतरे हैं। एक टीम के तौर पर हम पूरी तरह से स्पष्ट हैं कि हम बतौर टीम क्या करना चाहते हैं और कहां तक पहुंचना चाहते हैं।
व्यक्तिगत तौर पर आपके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि किसे मानते हैं?
विराट: आपके लिए हमेशा यह महत्वपूर्ण होता है कि एक वक्त में आप टीम के लिए क्या कुछ कर सकते हैं। इस लिहाज से सबसे अधिक संतोषजनक है कि जनवरी 2018 से एक युवा, लेकिन जुझारू टीम के साथ शुरू हुआ सफर लगातार आगे चल रहा है। अकेले खेलते रहने से यह संभव नहीं हो सकता था। खेल के हर विभाग पर हमारा पूरा फोकस होना चाहिए और बतौर कप्तान सबसे पहले यह मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं उन सब चीजों की शुरुआत खुद से करूं।
पिछले कुछ साल में आपने अलग-अलग स्थान पर बल्लेबाजी की। इसका असर आपके व्यक्तित्व पर भी नजर आ रहा है-आप जीवन के हर क्षेत्र में फ्रंटफुट पर आकर खेल रहे हैं। इन दिनों स्पष्ट तौर पर आप पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है। आप इन सबको कैसे देखते हैं?
विराट: मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब बहुत से लोग मुझे प्रेरणा के तौर पर देखेंगे। मेरी प्राथमिकता हमेशा भारतीय टीम के लिए खेलने की है और अधिक से अधिक वक्त तक खेलने की थी। आज भी मेरी यही प्राथमिकता है और हमेशा यही रहेगी। ईमानदारी से कहूं तो इस तरह की चीजें प्रक्रिया के तौर पर खुद ही हो जाती हैं। मेरा सबसे बड़ा सच जो हमेशा मेरे साथ रहता है यही है कि चाहे मैं मैदान पर रहूं या मैदान के बाहर, करियर की बात हो या निजी जिंदगी की मेरा दिल हमेशा सही के साथ ही रहा है।
तो... इस आधार पर आपका... दिल हमेशा सही के साथ रहा है... एक संकेत है कि आप हमेशा जो मन में है उसे खुलकर जाहिर करते हैं?
विराट: अगर मेरी चाहत कुछ करने की है तो मैं उस तरह का व्यक्ति नहीं हूं कि इसके लिए बहुत ज्यादा गुणा-भाग (कैलकुलेटेड) कर सकूं। मेरी मंशा हमेशा यही रही है कि मैं वह कर सकूं जो मैं एक निश्चित वक्त में करना चाहता हूं- सही काम। मैं वैसा इंसान भी नहीं हूं कि कुछ करने से पहले यह सोचूं कि लोग क्या कहेंगे। मेरे यह सब कहने का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। बात बहुत सरल है कि मैं दुनिया में हर किसी को खुश नहीं कर सकता हूं, लेकिन यह भी सच है कि दुनिया में सारे लोग मेरे खिलाफ भी नहीं हैं।
रवि... आप विराट को बाकी लोगों से ज्यादा बेहतर जानते हैं और सबसे ज्यादा अच्छी तरह से विराट की सोच को समझते हैं?
रवि: आपने विराट कोहली से उन पर पूरी दुनिया के फोकस के बारे में पूछा और वह कैसे इससे डील करते हैं उन्होंने बताया। समय-समय पर मैं भी यही कहता हूं कि जैसे एक बैट्समेन गेंद को परखता है वैसे ही आपको भी इससे (दुनिया की नजरों) से डील करना चाहिए। गेंद को उसकी मेरिट के अनुसार बल्लेबाज को खेलना चाहिए। आपकी प्रतिक्रिया इस पर निर्भर होनी चाहिए की सामनेवाले का ऐक्शन कैसा है। बिल्कुल वैसे ही, आपने पिछले 5 साल में क्या कुछ किया है और उसमें से जो कुछ सर्वश्रेष्ठ है उसे आगे लेकर जाएं और एक वक्त में एक ही गेम पर ध्यान दें, लेकिन आपको कुछ भी हल्के में (टेकिंग फॉर ग्रांटेड) नहीं लेना होगा।