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पालघर : मई की भीषण गर्मी और बढ़ते पारे ने जिलेभर में पानी की भारी समस्या पैदा कर दी है। जिलेभर में इन दिनों पानी की किल्लत देखी जा रही है। खासकर पालघर के ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर कुएं, नदी, तालाब सूख गए हैं। यहां आदिवासी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। लोगों को कई किलोमीटर दूर जाकर अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है। महगांई से त्रस्त लोगों के लिए पानी खरीदना किसी चुनौती से कम नहीं है। दोहरी मार झेल रही जनता टैंकरों से दूषित पानी की सप्लाई, दोगुने दामों पर मिनरल वॉटर की खरीदकर परेशान है। शहरी भागों की बात करें, तो वर्तमान में वसई-विरार मनपा के सामने जलापूर्ति एक बड़ी समस्या के रूप में देखी जा रही है।
लोगों को बेसब्री से बारिश का इंतजार है। लोगों का कहना है कि मॉनसून जल्दी आ जाए, तो पानी की दिक्कत कम हो सकती है। यही हाल वसई-विरार मनपा क्षेत्र में भी है। शहरी भागों को छोड़कर गावों व झोपड़पट्टी इलाकों में भी लोगों की हालत बदतर है। नालासोपारा (पूर्व) के धानिव बाग, वाकनपाडा, नवजीवन, सातीवली, भोयदापाडा, वसई फाटा, कामण, चिंचोटी, विरार (पूर्व) के चन्दनसार, कातकरी पाडा, भाटपाडा, विरार फाटा, हाइवे आदि इलाकों में कुएं और बोरिंग का पानी सूख गया है। यहां के लोग मनपा की पाइप के लीकेज पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं।
ग्रामीण इलाकों में भारी किल्लत
जिले में ग्रामीण क्षेत्र काफी बड़ा है। यहां ज्यादातर आदिवासी लोग रहते हैं, जो खेती करके अपना गुजर बसर करते हैं। लेकिन, इस महीने की भीषण गर्मी ने गांव के लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जव्हार, मोखाडा, वाडा, तलासरी, दहाणू, विक्रमगड, कासा आदि क्षेत्रों में भीषण गर्मी से कुएं, तालाब, नदी, झरने सब सूख गए हैं। इससे यहां के लोगों को पानी की भारी किल्लत से जूझना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अप्रैल में ही पानी की किल्लत शुरू हो गई थी। यहां की महिलाओं को सुबह उठकर दो से तीन किमी दूर जाकर पानी लाना पड़ता है। भीषण गर्मी व उमस की वजह से खेती को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है।
प्यासे हैं मटके, खरीदार नहीं
पानी की सामस्या इस कदर हो गई है कि लोगों को ठंडा जल उपलब्ध कराने वाले मटके खुद प्यासे हैं। जैसे ही गर्मी शुरु होती है, जगह-जगह मटकों की दुकानें लग जाती हैं। पानी न होने के कारण इनकी खरीदारी के लिए ग्राहक नहीं हैं। मटका विक्रेता ने बताया कि जिले में कमी की किल्लत से मटके नहीं बिक रहे हैं। जिस तरह यहां जनसंख्या बढ़ रही है, वैसे ही यहां पानी की किल्लत और बढ़ रही है।


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