10 हजार रुपये बने 39 लाख रुपये
सेंसक्स ने सफलता की नई कहानी गढ़ी है और वो 40 हजार के पार निकल गया है. अगर इसको आसान शब्दों में समझें तो मतलब साफ है कि किसी निवेशक ने 40 साल पहले 10 हजार रुपये का निवेश किया होता तो उसको निवेश की रकम बढ़कर 39.2 लाख रुपये हो जाती है. वहीं, बैंक FD में 2.17 लाख रुपये और सोने में 3.4 लाख रुपये होते हैं. एक्सपर्ट्स कहते हैं को शेयर बाजार में पैसा लगाना रिस्की तो है लेकिन सही समय पर सही शेयर में लगाया पैसा कुछ ही साल में कई गुना तक बढ़ जाता है.
कैसे बने 40 लाख रुपये...
सोने में 1979 में लगे 940 रुपये 9.2 फीसदी के सालाना रिटर्न के लिहाज से बढ़कर 3.4 लाख रुपये हो जाते हैं.
बैंक FD में 1979 में 10 हजार रुपये लगाए होते तो सालाना 8 फीसदी के रिटर्न मिलने पर यह रकम आज 2.17 लाख रुपये की बनती है.
अब बात करें सेंसेक्स की तो 40 साल में 10 हजार रुपये की रकम डिविडेंड के साथ 56 लाख रुपये हो गई है.
कैपिटल सिंडिकेट के मैनेजिंग पार्टनर सुब्रमण्यम पशुपति ने न्यूज18इंडिया को बताया कि अगर देश की इकोनॉमी का पहिया फिर से तेज होगा, तो शेयर बाजार नई ऊंचाइयों को छूता नजर आएगा. ऐसे में बैंकिंग, एफएमसीजी और रियल्टी कंपनियों के शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिलेगी.
शेयर बाजार में बनता हैं मोटा पैसा-सेंसेक्स की सफल कहानी पर सीएनबीसी-आवाज़ ने बात की शेयर बाजार के पितामह कहे जाने वाले किशन रतिलाल चोकसी, के आर चोकसी सिक्योरिटीज के किशन रतिलाल चोकसी को कैपिटल मार्केट के पितामह के तौर पर देखा जाता है जिनको बाजार में पांच दशक (50 साल) का तजुर्बा है. इस बातचीत में किशन रतिलाल चोकसी ने कहा कि बाजार में लोगों का पैसा बना है. बाजार चलता है तो निवेशकों का पैसा बनता है. (ये भी पढ़ें-जुलाई के पहले हफ्ते में पेश हो सकता हैं बजट, आम आदमी की इन फैसलों पर नज़र)
सही रिचर्स से निवेश फायदेमंद रहता है. सट्टे की जगह रिचर्स पर भरोसा करना चाहिए. पहले लोग रिचर्स पर ध्यान नहीं देते थे. मैंने सट्टे की जगह रिसर्च पर फोकस किया. मीटिंग में जाता था, बैलेंसशीट देखता था. उन्होंने आगे कहा कि निवेश से पहले कंपनी के बारे में जानना जरूरी होता है. पहले रिंग में ट्रेडिंग होती थी, अब तरीका बदला है. अब ट्रेडिंग में ह्यूमन टच नहीं, तकनीक ज्यादा है.