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मुंबई : आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर शिवसेना ने बुधवार को अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी। शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि भाजपा के साथ तय हुए सीट बंटवारे के  फॉर्मूले में कोई बदलाव नहीं है। यानि शिवसेना और भाजपा प्रदेश में 50-50 प्रतिशत सीटों के फॉर्मूले पर चुनाव लड़ेंगी। उद्धव ठाकरे से जब सीटों के बंटवारे के बारे में पूछा गया, तो  उन्होंने कहा कि भाजपा और शिवसेना के बीच राजनीतिक गठबंधन की घोषणा इस साल लोकसभा चुनाव से पहले मुंबई में कर दी गई थी। सीट बंटवारे के जिस फॉर्मूले पर काम  किया है, उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसी साल फरवरी में अमित शाह और उद्धव ठाकरे ने मुंबई में प्रेस कांफ्रेंस कर बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनने की  बात कही थी। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से सियासी गलियारे में चर्चा होने लगी थी कि भाजपा, शिवसेना से ज्यादा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।

बार्शी से राकांपा के विधायक दिलीप सोपल बुधवार को शिवसेना में शामिल हो गए। दो दिन पहले उन्होंने शिवसेना में शामिल होने की घोषणा की थी। मातोश्री पर शिवसेना पक्ष  प्रमुख उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में उन्होंने शिवसेना में प्रवेश किया। राकांपा के गढ़ माने जाने वाले पश्चिम महाराष्ट्र में पार्टी को लगातार झटके लग रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में   राकांपा के कई वजनदार नेताओं ने पार्टी को अलविदा कहा है। इसमें अब विधायक दिलीप सोपल भी शामिल हो गए हैं। सोमवार को बार्शी में उन्होंने राकांपा से इस्तीफा देकर  शिवसेना में शामिल होने की घोषणा की थी। उनका कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बार्शी विधानसभा क्षेत्र की स्थिति को देखकर उन्होंने यह निर्णय लिया है। विधानसभा  चुनाव के लिए राकांपा ने अभी हाल ही में इच्छुक उम्मीदवारों का इंटरव्यू लिया था। इसमें विधायक दिलीप सोपल शामिल नहीं हुए। ऐसे में उनके पार्टी छोड़ने की चर्चा शुरू हो गई।  युति में सीट बंटवारे के फार्मूले के अनुसार बार्शी विधानसभा सीट शिवसेना के पास जाएगी। सोपल के विरोधी माने जाने वाले पूर्व विधायक राजेंद्र राऊत शिवसेना छोड़कर भाजपा में  शामिल हो गए हैं, ऐसे में सोपल के लिए रास्ता खुल गया। भाजपा और शिवसेना गठबंधन में पिछले एक महीने में करीब 12 कांग्रेस और एनसीपी के नेता शामिल हुए हैं। इसके  बाद ये भी अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि दोनों सहयोगी पार्टियां विधानसभा चुनाव अलग- अलग लड़ सकती हैं। लेकिन मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और बुधवार को   उद्धव ठाकरे दोनों दलों का गठबंधन निश्चित होने की बात कह कर सारी आशंकाओं को दरकिनार कर दिया। भाजपा और शिवसेना ने साल 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव   अलग-अलग लड़ा था। नतीजों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। लेकिन, वो बहुमत से कुछ फासले के अंतर से रह गई थी। बाद में उसने शिवसेना के समर्थन से गठबंधन की सरकार बनाई।


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