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मुंबई : महाराष्ट्र की राजनीति की पहचान चाचा-भतीजों के बीच तालमेल और गहरे राजनीतिक संबंधों के लिए है। इसी कड़ी में युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे और उनके चाचा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अध्यक्ष राज ठाकरे का नाम भी जुड़ गया है। दरअसल, शिवसेना ने विधानसभा चुनाव के लिए वर्ली सीट से आदित्य की चुनावी पारी की शुरुआत की है, जिसके साथ ही एमएनएस ने वहां अपना प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है। गौरतलब है कि एमएनएस अब तक 72 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है लेकिन वर्ली की सीट को छोड़ दिया गया है। एमएनएस के एक कार्यकर्ता का कहना है, 'जहां तक है, राजासाहेब ने फैसला किया है कि आदित्य के खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारा जाएगा। यह ठीक नहीं होगा कि कोई ठाकरे पहली बार चुनाव लड़े और दूसरा ठाकरे, उनके ही चाचा, उनके खिलाफ प्रत्याशी उतारें। 

राज ने एमएनएस की नींव 2006 में सेना छोड़ने के बाद रखी थी। राज की शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे से केमिस्ट्री के बारे में सब जानते हैं। इसी तरह नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार भी सालों से एक साथ राजनीति कर रहे हैं। सीनियर बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे और उनके भतीजे धनंजय मुंडे, एनसीपी नेता छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर राज्य की राजनीति में ऐसे ही उदाहरण रहे हैं। माना जाता है कि एमएनएस पूर्व कॉर्पोरेट संतोष धुरी को वर्ली से उतारना चाहती थी लेकिन आदित्य के आने से पार्टी ने इरादा बदल दिया। करीब 50 साल से ज्यादा से शिवसेना के जून, 1966 में बनने के बाद से ठाकरे परिवार से किसी ने भी चुनाव नहीं लड़ा है। सेना हमेशा राजनीतिक रिमोट कंट्रोल अपने पास रखना चाहती थी। हालांकि, अब आदित्य के चुनाव लड़ने से यह बदलने वाला है।


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