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मुंबई : महाराष्ट्र की राजनीति रातों-रात ऐसी करवट बैठ गई कि शनिवार की सुबह राज्य के साथ ही पूरा देश हैरान रह गया। भारतीय जनता पार्टी ने एनसीपी के अजित पवार के साथ मिलकर सरकार तो बना ली है लेकिन अब उसके सामने चुनौती बहुमत साबित करने की है। पार्टी के नेता इस बात का दावा तो कर रहे हैं कि उनके पास 170 विधायक हैं लेकिन साथ ही यह कवायद भी चल रही है कि इन विधायकों, खासकर छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन साथ बना रहे।बहुमत के खेल में ये विधायक अहम कड़ी बन गए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इन विधायकों का साथ किस राजनीतिक दल को मिलेगा? देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शनिवार सुबह शपथ ली। उनके पास 105 बीजेपी विधायकों, 54 एनसीपी विधायकों और 11 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। दिलचस्प यह देखना रहेगा कि बहुमत परीक्षण में छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते 29 विधायकों का समर्थन किसे मिलता है। दरअसल, शिवसेना का दावा है कि उसके पास ऐसे 7 विधायकों को समर्थन है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस वक्त सभी निर्दलीय उम्मीदवारों को एकजुट रखना एक बड़ी जिम्मेदारी है। 

बीजेपी के एक नेता का कहना है, 'अगले कुछ दिन विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिशें सभी ओर से की जाएंगी। विधायक नाजुक स्थिति में हैं और पाले बदल सकते हैं। यह जरूरी है कि उन पर निगरानी रखी जाए।' उन्होंने भारतीय शेतकरी कामगार पार्टी का उदाहरण देते हुए कहा कि बहुमत परीक्षण ऐसा होगा कि एक-एक संख्या जरूरी होगी। दरअसल, इस पार्टी ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था लेकिन इसके इकलौते विधायक श्यामसुंदर शिंदे ने बीजेपी को समर्थन दिया। उधर, निर्दलीय विधायकों का दावा है कि वह उसी पार्टी को समर्थन देंगे जिसे पहले दे चुके हैं। बीजेपी की बागी नेता गीता जैन, जिन्होंने टिकट न मिलने पर मीरा-भाईंदर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, उनका कहना है कि वह बीजेपी को ही समर्थन देंगी। जैन ने कहा है, 'मैंने पहले ही बीजेपी को समर्थन दे दिया है और मैं अपना रुख कभी नहीं बदलूंगी क्योंकि मैं दिल से एक बीजेपी कार्यकर्ता हूं।' वहीं, प्रहार जनशक्त पार्टी के संस्थापक बाचू कुडू ने कहा है कि वह सेना के साथ हैं और रहेंगे। वह सेना के विधायकों के साथ ही ललित होटेल में हैं। उनकी पार्टी के विदर्भ से दो विधायक हैं। इस सब के बीच एक पार्टी है जो इस रस्साकशी से एकदम दूर है। असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के दोनों विधायक विपक्ष में ही बैठने वाले हैं। वे न ही कांग्रेस-एनसीपी के साथ जाएंगे और न ही बीजेपी के साथ MIM के पूर्व विधायक वारिस पठान का कहना है, 'हमारे अध्यक्ष (ओवैसी) ने साफ कर दिया है कि हम विपक्ष में ही बैठेंगे। हमारा पक्ष वही है।' राज्य की 288 सीटों में से 145 सीटें बहुमत के लिए जरूरी हैं। बीजेपी का दावा है कि उसके 105 विधायकों के अलावा उसके पास एनसीपी के पूरे 54 विधायकों का समर्थन है तो है, साथ ही 8 निर्दलीय विधायक भी उसके पाले में हैं। यानी कुल 167 विधायकों पर उसका दावा है। उधर, एनसीपी ने शनिवार को दावा किया है कि उसके पास उसके 49 विधायक अभी भी हैं। ऐसे में विपक्षी खेमे में शिवसेना के 56, एनसीपी के 49, कांग्रेस के 44 और 8 निर्दलीय विधायक माने जा रहे हैं।


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