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मुंबई : आदिवासी विकास विभाग अंतर्गत अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों को एमएससीआईटी का प्रशिक्षण दिया जाता है. लेकिन प्रशिक्षण में फर्जी प्रशिक्षणार्थी दिखाकर लाखों रुपये का घोटाला किये जाने का मामला सामने आया है. इस संबंध में गड़चिरोली पुलिस थाने में गड़चिरोली के एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प के तत्कालीन प्रकल्प अधिकारी हरिराम मडावी और 8 कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्थाओं के संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. यह मामला काफी गंभीर होने के कारण मामले की जांच स्थानीय अपराध शाखा को सौंपी गई है. यह जानकारी शाखा के पुलिस निरीक्षक उल्हास भुसारी ने दी. मामला दर्ज की गई संस्थाओं में सुयोग कम्प्यूटर आरमोरी, क्रिस्टल कम्प्यूट कुरखेड़ा, शाइन कम्प्यूटर कोरची, कम्प्यूटर प्वाइंट चामोर्शी, राज कम्प्यूटर आष्टी, नेटवर्क कम्प्यूटर गड़चिरोली, क्रिस्टल कम्प्यूटर कोरची और संकल्प सिद्धि बहुउद्देशीय विकास संस्था गड़चिरोली का समावेश है. इस संबंध में गड़चिरोली प्रकलप के सहायक प्रकल्प अधिकारी विकास राचेलवार ने 21 दिसंबर को गड़चिरोली पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की थी. इस आधार पर पुलिस ने हरिराम मडावी व 8 कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्था संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

आदिवासी विकास विभाग द्वारा विभिन्न सामग्री खरीदी मामले में घोटाला उजागर होने के बाद उच्च न्यायालय के आदेश पर सरकार ने पूर्व न्यायाधीश गायकवाड़ की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था. जांच के दौरान विद्यार्थियों को एसएससीआईटी का प्रशिक्षण मामले में घोटाला होने की बात स्पष्ट हुई थी. 2007-08 में न्यूक्लियस बजेट अंतर्गत अनुसूचित जाति, जनजाति के स्नातक, स्नातकोतर शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों के लिये आदिवासी विकास विभाग की योजना के तहत एमएसआईटी का प्रशिक्षण देना था. इसमें आईटीआई से प्रशिक्षण देने का आदेश सरकार ने दिया था.

जिसके अनुसार गड़चिरोली एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प के तत्कालीन प्रकल्प अधिकारी मडावी ने प्रकल्प क्षेत्र अंतर्गत सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षक संस्थाओं को पत्र भेजकर मांग की. किंतु संस्था द्वारा कोई भी प्रतिसाद नहीं मिला. जिसके अनुसार प्रकल्प अधिकारी ने विज्ञापन प्रकाशित कर निजी कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्थाओं को प्रशिक्षण देने का काम सौंपा था. इनमें से प्रत्येक संस्थाओं को छात्रावास के 10 के 15  छात्र, इसके अनुसार 200 छात्रों को निवासी प्रशिक्षण देना था. वहीं इसके लिए प्रति छात्र 2,210 रुपये खर्च को मंजूर किया गया था. किंतु कुछ संस्थाओं ने प्रत्यक्ष रूप में प्रशिक्षण ही नहीं दिया. कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्थाओं ने विद्यार्थियों को प्रशिक्षण नहीं देते हुए पैसे उठाए. न्या. गायकवाड़ समिति की जांच में बात सामने आई. जिसके बाद गड़चिरोली प्रकल्प कार्यालय के अधिकारियों ने कम्प्यूटर प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं को करार पत्र, कम्प्यूटर प्रशिक्षण देने के संदर्भ में प्रमाणपत्र, हजेरी पत्रक समेत अन्य आवश्यक दस्तावेजों की मांग की. किंतु संबंधित 8 संस्थाएं दस्तावेज नहीं दे पाईं. जिसके बाद इनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया.


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