दिल्ली : इतिहास में पहली बार इस साल नहीं लगेंगे RSS के ट्रेनिंग कैंप
दिल्ली : कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए जहां देश को लाकडाउन कर दिया गया है, वहीं आरएसएस ने भी कई बड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा हर साल लगाए जाने वाले सभी कैंपों को इस साल के लिए निरस्त कर दिया है. संघ के सहसरकार्यवाह डा. मनमोहन वैद्य ने यह जानकारी दी. 1925 में आरएसएस की स्थापना के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब संघ ने खुद इन कैंपों को आयोजित न करने का फैसला किया है.
वैद्य ने कहा कि देश के अलग-अलग स्थानों पर लगने वाले सभी प्रकार के संघ शिक्षा वर्गों (समर ट्रेनिंग कैंप) को इस साल के लिए निरस्त किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जून तक आरएसएस किसी तरह के एकत्रीकरण कार्यक्रमों का आयोजन भी नहीं करेगा. संघ के इतिहास में पहली बार हुआ है, जब योजना बनने से पहले ही इन कैंपों को निरस्त किया गया है.
आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि आरएसएस मई-जून में संघ शिक्षा वर्गों का आयोजन करता है. ये वर्ग 3 तरह के होते हैं. प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष के रूप में इन वर्गों का आयोजन किया जाता है. सामान्य तौर पर प्रथम वर्ष संघ की दृष्टि से बनाए गए हर प्रांत में लगता है, द्वितीय वर्ष संघ योजना के हिसाब से बनाए गए क्षेत्र में लगाया जाता है और तृतीय वर्ष की ट्रेनिंग सिर्फ नागपुर में होती है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा कई स्थानों पर 7 दिनों के विशेष प्राथमिक शिक्षा वर्ग भी इसी समय में लगते हैं.
आरएसएस पर कई बार पाबंदियां भी लगाई गईं. उस दौरान ये ट्रेनिंग कैंप आयोजित नहीं किए जा सके. संघ जानकारों के मुताबिक, 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ को बैन किया गया था, तब 1948 व 1949 में संघ का तृतीय वर्ष वर्ग नहीं लग पाया था. इसके बाद इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के समय 1976 में आरएसएस का तृतीय वर्ष कैंप नहीं लग पाया था. इसके अलावा राम मंदिर आंदोलन के बाद 1993 में भी संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष नहीं लग पाया था.
आपको बता दें कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए संघ ने इतिहास में पहली बार आधिकारिक रूप से स्वयंसेवकों से सार्वजनिक स्थानों पर शाखा न लगाने की भी अपील की है. इसी के चलते संघ के स्वयंसेवक ‘ई-शाखा’ लग रहे हैं. ये शाखाएं, वीडियो कॉल या किसी ऐप का इस्तेमाल करके लगाई जा रही हैं. वीडियो कॉल पर ही ये स्वयंसेवक अपने घरों में रहकर व्यायाम, प्रार्थना, चर्चा इत्यादि करते हैं.