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मुंबई : महाराष्ट्र में बीते छह महीने के अंदर 1,074 किसानों ने आत्महत्या कर ली। जनवरी से जून के बीच हुई इन आत्महत्याओं के आंकड़े डराने वाले हैं। आंकड़ों के हिसाब से हर रोज छह किसानों ने आत्महत्या की। सबसे ज्यादा किसानों के आत्महत्या करने के मामले जून में आए, इस दौरान 214 केस दर्ज किए गए। लॉकडाउन के दौरान किसान बहुत प्रभावित हुए। सबसे ज्यादा सब्जी और फलों के किसान परेशान हुए। लॉकडाउन में ट्रांसपॉर्ट रुकने से किसानों की सब्जियां और फल बड़ी थोक मार्केट में नहीं जा सके। कई किसानों के उत्पाद खराब हो गए। 

जून तक हुई 1074 किसानों की आत्महत्याओं में सबसे ज्यादा जून में हुईं। इस दौरान लॉकडाउन के चलते सामानों की सप्लाई चेन टूट गई थी। थोक बाजार में उत्पादों के दाम गिर गए। हालांकि बीते दशकों में कॉटन जैसी फसलों की सरकारी खरीद बढ़ी है। हालांकि लॉकडाउन के बावजूद किसानों की आत्महत्या के आंकड़े पिछली साल के तुलना में कम हैं। पिछले साल 2019 में इस छह महीने के दौरान 1336 किसानों ने आत्महत्या की थी। पिछले साल इस दौरान मराठवाड़ा में भारी बारिश हुई थी। बाढ़ आने के बाद महाराष्ट्र के पश्चिमी इलाके में बड़े स्तर पर फसलें बर्बाद हुई थीं। 

विदर्भ जनआंदोलन समिति के किशोर तिवारी ने बताया, 'गर्मी के इस मौसम में शादियों का सीजन होता है। अधिकांश किसान इसी सीजन में शादियों का आयोजन करते हैं। हर साल इस सीजन में आत्महत्या के आंकड़े इसलिए बढ़ जाते हैं क्योंकि किसान दबाव में रहते हैं। हालांकि इस साल महामारी के चलते शादियां नहीं हो रही हैं लेकिन किसानों पर अन्य दबाव हैं।' इस साल किसानों ने या तो शादियों के आयोजन टाल दिए हैं या फिर बहुत ही छोटे आयोजन में शादियां निपटाईं। 

किशोर तिवारी ने कहा कि हालांकि इस साल अब खरीफ की फसल के बाद किसानों की असली परेशानी शुरू होगी। उन्होंने कहा, 'कई किसानों को इस बार लोन नहीं मिला। उन्होंने उधार लेकर खरीफ की फसल की। उन लोगों को उम्मीद है कि फसल अच्छी होगी।' उन्होंने कहा कि किसानों की परेशानियां कम नहीं होंगी जब तक कृषि के दामों को नियंत्रित नहीं किया जाएगा और किसानों के उत्पादों को अच्छे दाम नहीं मिलेंगे। कृषि लोन भी महत्वपूर्ण होता है।  किसानों के नेता विजय जवानधिया और किसान सभा के अजीत नावले ने कहा कि इस साल किसानों की फसलों पर कीड़ों का हमला हुआ। अधिकांश किसानों को फल और सब्जी सिंचित बेलों से मिलती है। कीड़ों के हमलों ने उन्हें प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की किसानों पर मार पड़ी है हालांकि यह सूखे से कुछ बेहतर है। 




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