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मुंबई : घर से जब लोग बाहर निकलने के लिए टैक्सी बुक करते हैं, ऑटोरिक्शा या बस पकड़ते हैं तो क्या लोग यह सुनिश्चित करते हैं कि जिस वाहन में वे यात्रा कर रहे हैं वह सुरक्षित है या नहीं? इसका मतलब चालक की आंखों की अच्छी नजर से है। यह जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने पिछले एक महीने में ५२ हजार ड्राइवरों की मेडिकल जांच की है और यह पता चला है कि लगभग १७ हजार चालकों की नजरें कमजोर हैं। इनमें ऑटोरिक्शा, टैक्सी, बसों के साथ-साथ निजी वाहनों के चालक भी शामिल हैं।

बता दें कि मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने १८ जनवरी से १७ फरवरी तक सड़क सुरक्षा का अभियान चलाया। इस दौरान ट्रैफिक नियम, जन जागरूकता, उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई और विभिन्न प्रोग्राम का आयोजन किया गया। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण प्रोग्राम में से एक चालकों की आंख की जांच करना था। पुलिस ने विभिन्न संगठनों और डॉक्टरों की मदद से मुंबई के विभिन्न स्थानों पर नेत्र जांच शिविर आयोजित किए। इन शिविरों में ऑटोरिक्शा, टैक्सी, टेंपो, सार्वजनिक परिवहन बसों, निजी बसों और अन्य निजी वाहनों के ५२ हजार ड्राइवरों का मेडिकल परीक्षण किया गया, इसमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे।

इस नेत्र परीक्षण में पता चला कि १७ हजार ड्राइवरों की आंखों की शक्ति कमजोर है। यह गंभीर मामला इसलिए है क्योंकि दुर्घटनाओं के कई कारणों में से एक धुंधली दृष्टि है। इसलिए पुलिस की तरफ से इन चालकों का परीक्षण कर उनकी आंखों का नंबर जान चश्मे दिए गए।

ट्रैफिक पुलिस की ओर से डॉक्टरों के सहयोग से विभिन्न स्थानों पर कोरोना जांच शिविर, चिकित्सा शिविर आयोजित किए गए थे। शिविर में २५ हजार से अधिक ऑटोरिक्शा और टैक्सियों के साथ-साथ आम नागरिकों एवं पुलिस ने भी भाग लिया। इस दौरान हेल्मेट के बारे में जागरूकता पैदा करने की कोशिश की गई और हेल्मेट नहीं पहननेवाले लगभग ३०० लोगों को रोका गया तथा उन्हें हेल्मेट पहनने के फायदे बताने के लिए मुफ्त में हेल्मेट दिया गया। विभिन्न स्कूलों की मदद से, २५० ऑनलाइन वीडियो कॉन्प्रâेंस की मदद से छात्रों को सड़क सुरक्षा के बारे में जानकारी दी गई।


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