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बदलापुर, बदलापुर, अंबरनाथ, उल्हासनगर के नदी, तालाब व पहाड़ इन दिनों नशेड़ियों के नइ अड्डे बन गए हैं। ये शराबी पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं। शराब पीने के बाद ये इन प्राकृतिक स्थलों पर कचरा पैâला देते हैं। ये शराब की बोतलें तोड़कर पेंâक देते हैं, जिससे जलीय जीवों के साथ ही ये दूसरे लोगों के लिए भी घातक सिद्ध हो रहा है। उल्हास नदी बचाओ कृति समिति के अश्विन भोईर ने बताया कि बदलापुर में उल्हास नदी, कोंडेश्वर मंदिर, भोज डैम, बैरेज, रमेशवाड़ी के समीप उल्हास नदी पर बनी चौपाटी, बारवी डैम, अंबरनाथ में चिखलोली डैम, जीआईपीआर जलाशय जैसे कई स्थानों को शराबियों ने शराब पीने का अड्डा बना लिया है। उल्हासनगर के समीप उल्हास नदी के किनारे आईडीआई कंपनी के समीप, रायता पुल, सीमा रिसोर्ट पर भी शराबी शराब पीने के लिए आते हैं। शराब के साथ ये लोग खाने की वस्तुएं लाते हैं। खाने की चीजें प्लास्टिक में पैक होती हैं। ये लोग प्लास्टिक में पैक, खोखे, धागों आदि को नदी किनारे ही छोड़कर चले जाते हैं, जो हवा से उड़कर नदी में जाता है। इससे नदी व नदी किनारे घूमनेवाले दूसरे लोगों के पैर में शराब की टूटी बोतलों के टुकड़ों से जख्म हो जाता है। वहीं दूसरी तरफ प्लास्टिक व धागों के उड़कर नदी में जाने से मछलियों व अन्य जलीय प्राणियों के लिए घातक होता है। पिछले दिनों एक कछुए की गर्दन में धागा फंसा मिला, जिससे उसके गर्दन में जख्म हो गया था। उसका उपचार कर फिर से पानी में छोड़ा गया।

बदलापुर परिसर के वन अधिकारी प्रमोद ठाकुर ने बताया कि बदलापुर के मोहेपाडा, बदलापुर गांव, श्रीमलंगगढ़ की पहाड़ियों के अलावा अंबरनाथ से वांगनी के बीच में कई जगह पर वन विभाग के घने जंगल हैं। जहां पर परिसर के शराबी, गंजेडी नशा करते हैं। ये दम लगाते समय माचिस की जलती तीली फेंक देते हैं। शराब पीने वाले लोग जलती सिगरेट फेंककर चल देते है। इसके कारण गर्मी के दिनों में कई बार जंगल में भयानक रूप से आग लग चुकी है। जंगल में आग लगने से पेड़ के साथ पंछियों, कीट-पतंगों का भी नुकसान होता हैं। जंगल में आग लगाने के अपराध में कई नशेड़ियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार तक किया गया है। बरसात में जंगल में शराबियों का समूह शराब पीने आता है।


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