२५ से अधिक महिलाओं की रेप के बाद हत्या, सीरियल रेपिस्ट उमेश रेड्डी की याचिका खारिज
मुंबई, दुनियाभर में कई सनकी अपराधी अब तक सामने आ चुके हैं, जिन्होंने अपनी करतूतों से कई बेबस, बेगुनाहों को बेरहमी से अपना शिकार बनाया था। उनकी बर्बरता जब दुनिया के सामने आई तो लोगों की रूह कांप उठी। ऐसे ही एक अपराधी का मामला इन दिनों मीडिया में छाया हुआ है। हम बात कर रहे हैं, बलात्कारी सनकी साइको किलर उमेश रेड्डी की। रेड्डी पर २५ से अधिक महिलाओं की रेप के बाद हत्या का आरोप है, जिसमें से १८ महिलाओं की रेप की बात वह कबूल कर चुका है जबकि ९ में उसे अदालत दोषी ठहरा चुकी है और उसे मिली मौत की सजा के खिलाफ राष्ट्रपति के पास दायर दया याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है और अब उसकी मौत की सजा को उम्रकैद की सजा में तब्दील करने की याचिका भी खारिज हो गई है। यानी मौत बांटनेवाले हवसी दरिंदे उमेश रेड्डी की कानूनी मौत अब तय हो गई है। यह संभावना जताई जा रही है कि रेड्डी को अगले छह सप्ताह में फांसी की सजा दे दी जाएगी।
वर्ष १९६९ में कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिला स्थित माकिल गांव में जन्मा उमेश रेड्डी कभी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में गार्ड हुआ करता था। उसकी पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में हुई थी लेकिन बाद के कुछ वर्षों में उसके जीवन में आए बदलावों से वह रक्षक से भक्षक बन गया। उसी साल नवंबर-दिसंबर महीने में उस पर पहली बार एक लड़की के साथ वहशीपना करने का आरोप लगा। नवंबर १९९६ में रेड्डी ने एक हाई स्कूल की छात्रा को शिकार बनाने की कोशिश की लेकिन वह भागने में सफल रही। उसकी पहले शिकार ने गणतंत्र दिवस पुलिस परेड के दौरान उसे पहचान लिया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया और नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। वहां से उमेश की जिंदगी में शुरू हुआ हैवानियत का सिलसिला कई वर्षों तक चलता रहा। उसने चित्रदुर्ग जिले में ६ दिसंबर, १९९६ को कथित तौर पर एक १६ वर्षीय लड़की की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी और वह फरार हो गया था।
उमेश रेड्डी फरार था लेकिन उसने १९९६ में जिला सशस्त्र रिजर्व (डीएआर) पुलिस में शामिल होने की कोशिश की। डीएआर को सीआरपीएफ में उसकी पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी न होने के काण उसका चयन भी हो गया। मध्य प्रदेश में पुलिस प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वह कर्नाटक लौट आया। वर्ष २००२ में पुलिस ने दो ऑटोरिक्शा चालकों की सतर्कता के कारण उसे दोबारा गिरफ्तार किर लिया। बंगलुरु में पीन्या के पास दो ऑटो चालकों ने एक नाई की दुकान पर आए उमेश को पहचान लिया था और उन ऑटो चालकों से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। तब तक उमेश के खिलाफ मैसूर, मुंबई, अमदाबाद, वड़ोदरा कुनिगल, बल्लारी और बंगलुरु सहित कई जगहों पर कई महिलाओं से रेप, हत्या के आरोप में मामला दर्ज हो गया था। उस दौरान उस पर रोड रेज का आरोप भी लगा था।
२००९ आने तक उसके अपराधों की संख्या २५ तक पहुंच गई थी। इसका खुलासा तब हुआ जब उमेश दूसरी बार पुलिस के हत्थे चढ़ा। उसकी करतूतों के पन्ने खुले तो उसके अपराध के बारे में जानकर लोग दंग रह गए। उमेश शेट्टी मुख्यरूप से घर में अकेली महिला को निशाना बनाता था। वह पानी मांगने के बहाने घरों में घुसता था, फिर चाकू की नोक पर महिलाओं को बंधक बनाकर रेप करता था। हवस की आग मिटाने के बाद वह उनकी हत्या करता था। इतना ही नहीं इसके बाद वो घर में डकैती भी करता था। वारदात के बाद उमेश लड़कियों के अंडरगार्मेंट्स चुरा लेता था और वहां से फरार हो जाता था। जब पुलिस ने उसे पकड़ा तो उसके पास से जो बैग बरामद हुए उसमें से महिलाओं के १० ब्रा, १८ जोड़े पैंटीज, ६ साड़ी, २ नाईटी, ८ चुंदरी और ४ ब्लाउज बरामद हुए। यह भी पता चला कि उमेश महिलाओं के कपड़े पहनता भी था। चित्रदुर्ग का निवासी रेड्डी फिलहाल हिंडालगा जेल में बंद है। उमेश के आपराधिक जीवन पर फिल्म भी बन चुकी है। वर्ष २०१३ में एक कन्नड़ फिल्म आई थी, जिसका नाम था ‘उमेश रेड्डी’। बाद अदालत में अदालत के आदेश पर फिल्म का नाम ‘खतरनाक’ कर दिया गया।
१८ फरवरी, २००९ को अदालत ने उमेश को उसके जघन्य अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई। उमेश ने निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट और यहां तक की सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगाई कि उसकी मौत की सजा को माफ कर दिया जाए लेकिन सभी अदालतों में उसकी याचिका खारिज हो गई। कर्नाटक हाईकोर्ट ने तो सुनवाई के वक्त उमेश पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ‘वो तो दानव है’। साल २०१२ में उमेश की मां ने राष्ट्रपति के पास भी अपने इकलौते बेटे की सजा पर रहम के लिए गुहार लगाई लेकिन साल २०१३ में राष्ट्रपति ने उसकी सजा को टालने से इनकार कर दिया। जिसके बाद उमेश ने कर्नाटक हाई कोर्ट में मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील करने की अपील की थी लेकिन अदालत ने उस अपील को खारिज कर दिया। यानी अब उमेश का मरना तय हो गया है। उमेश फिलहाल हिंदाल्गा में बेलगावी सेंट्रल जेल में बंद है और वहां वह अपनी बची हुई सांसें गिन रहा है।