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मुंबई: महाराष्ट्र सरकार 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में बड़ा कदम उठाने जा रही है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले के सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था। ऐसे में अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा है कि सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। इस फैसले में 180 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई थी। सरकार का मानना है कि पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए और दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए। 

बम धमाके में मारे गए थे 180 से अधिक लोग

दरअसल महाराष्ट्र सरकार 11 जुलाई 2006 को मुंबई में हुए ट्रेन धमाकों के मामले को लेकर गंभीर है। 11 जुलाई को पश्चिमी लाइन पर अलग-अलग स्थानों पर मुंबई की कई लोकल ट्रेन में सिलसिलेवार तरीके से सात विस्फोट हुए थे। इनमें 180 से अधिक लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 19 साल बाद सोमवार को सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा और यह विश्वास करना मुश्किल है कि उन्होंने अपराध किया है।

फडणवीस ने कहा- सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की स्पेशल बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपराध में इस्तेमाल किए गए बमों के प्रकार को भी रिकॉर्ड में लाने में विफल रहा और जिन सबूतों पर उसने भरोसा किया है। वे आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए निर्णायक नहीं हैं। कोर्ट के इस फैसले पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार मुंबई ट्रेन विस्फोट के सभी 12 आरोपियों को बरी करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी।

चंद्रशेखर बावनकुले ने क्या कहा?

इससे पहले पत्रकारों से बातचीत में बीजेपी के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार सभी आरोपियों को बरी करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने से पहले मामले के गुण-दोष का आकलन करेगी। उससे पहले हम फैसले के गुण-दोष और बरी किए जाने के कारणों जैसे पहलुओं पर चर्चा करेंगे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी इस पर गौर करेंगे। आकलन के बाद ही राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी। भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के पूर्व अध्यक्ष बावनकुले ने कहा कि अगर राज्य के पास कोई अतिरिक्त जानकारी है, तो मुख्यमंत्री फडणवीस उसे विस्तार से पेश करेंगे।

संजय निरुपम ने फैसले को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता और लोकसभा के पूर्व सदस्य संजय निरुपम ने फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सवाल उठता है कि विस्फोटों की साजिश किसने रची। उन्होंने यह भी कहा कि यह भी देखना होगा कि क्या जांच एजेंसियों के काम में कोई कमी थी। महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने इस मामले की जांच की थी। मंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कहा कि राज्य सरकार फैसले का अध्ययन करेगी और अगर जरूरत महसूस हुई तो वह सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी। 

किरीट सोमैया ने फडण्वीस से की अपील

बीजेपी के पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने मुख्यमंत्री फडणवीस से अपील की है कि वह ट्रेन बम विस्फोट की पुलिस द्वारा की गई पिछली जांच में कमियों को दूर करने के लिए जांचकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों की एक टीम गठित करें। आरोपियों के बरी होने को दुखद और चौंकाने वाला बताते हुए सोमैया ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अनुरोध किया है कि वह पुलिस द्वारा की गई पिछली जांच में कमियों को दूर करने के लिए जांचकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों की एक टीम गठित करें।  

उन्होंने कहा कि पीड़ितों को न्याय चाहिए और आतंकवादियों को फांसी दी जानी चाहिए। वर्ष 2015 में एक विशेष अदालत ने इस मामले में 12 लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें से पांच को मौत की सज़ा और बाकी सात को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी। अपील की सुनवाई लंबित रहने के दौरान एक आरोपी की मृत्यु हो गई।


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