महालक्ष्मी में मोनो-मेट्रो की जुगलबंदी! २०० करोड़ रुपए आएगी लागत
मुंबई, मोनो रेल और मेट्रो ट्रेन दोनों ही मुंबईकरों की यातायात के नए साधन हैं। मगर इनके रास्ते अलग हैं। अब ये दोनों एक जगह पर जुगलबंदी करते नजर आएंगे। संत घाडगे महाराज चौक से चेंबूर के बीच चलनेवाली मोनो रेल को अंडर ग्राउंड महालक्ष्मी मेट्रो स्टेशन से कनेक्ट किया जाएगा। योजना के मुताबिक अंडर ग्राउंड स्टेशन से मोनो रेल के बीच कनेक्टिविटी करीब ७०० मीटर की होगी। ऐसे में परिवहन के दोनों साधनों के साथ इंटरकनेक्टिविटी से मोनो रेल यात्रियों की संख्या में सुधार होने की उम्मीद बढ़ जाएगी।
बता दें कि कोविड-१९ महामारी से पहले मोनो रेल में १८,००० यात्री सफर करते थे, जबकि प्रतिदिन २ लाख यात्रियों को ले जाने की क्षमता है। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल), जो कि अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन का निर्माण कर रहा है, वह पश्चिम रेलवे के महालक्ष्मी स्टेशन के साथ कनेक्ट होगा।
एक अधिकारी ने कहा, ‘इस विस्तार से मोनोरेल के फुटफॉल में सुधार होगा। वर्तमान में संत घाडगे महाराज चौक मोनो रेलवे स्टेशन और महालक्ष्मी मेट्रो स्टेशन के बीच की दूरी ७०० मीटर है। अंडरग्राउंड नेटवर्क से बाहर आने के बाद मोनोरेल पर चढ़ने के लिए ज्यादा लोग नहीं चलेंगे इसलिए इस प्रस्ताव का अध्ययन किया जा रहा है।’
इस संबंध में परियोजना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि ‘विस्तार के लिए भूमि के अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि गाइडवे के लिए पिलर्स सड़क के बीच में बनेगा। मेट्रो के साथ कनेक्टिविटी इस तरह की जाएगी, ताकि मोनो के यात्रियों को एस्केलेटर और सीढ़ियों के माध्यम से सीधे अंडर ग्राउंड स्टेशन में प्रवेश मिल सके।
सूत्र का कहना है कि जैकब सर्कल के नीचे भूमिगत जल भंडारण टैंक के ऊपर वैâसे जाना है, इसके अलावा कोई और चुनौती नहीं दिख रही है। एक विकल्प पर विचार किया जा रहा है कि भूमिगत टैंक को बायपास करने के लिए गाइडवे के लिए केबल-स्टे डिजाइन किया गया है। हालांकि, प्रस्ताव अभी शुरुआती चरण में है, अधिकारियों का अनुमान है कि विस्तार की लागत २०० करोड़ रुपए के आसपास होगी।