अदालत ने दिया पीड़िता को इंसाफ, दोषियों को दी आजीवन कारावास की सजा
मुंबई, उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति से जुड़े बलात्कार मामले में पीड़िता के साहस और जज्बे को देखें तो औरत के अबला होने का भ्रम टूट जाता है। चित्रकूट की उक्त बलात्कार पीड़िता की फेसबुक पर पोस्ट की गई आखिरी पोस्ट इन दिनों वायरल हो रही है। दो साल पहले शेयर की गई उक्त पोस्ट में पीड़िता ने लिखा था, ‘मत छेड़ मुझको लड़ना मुश्किल होगा, लिखेंगे ऐसा इतिहास कि पढ़ना मुश्किल होगा।’ चुनौती भरे शब्दों में लिखी गई उक्त की एक-एक बातें उस समय सच साबित हुर्इं जब अदालत ने गायत्री प्रजापति को उम्रवैâद की सजा सुना दी।
प्रतिष्ठा पाना जितना मुश्किल काम होता है, उससे भी ज्यादा मुश्किल होता है प्रतिष्ठा को बचाए रखना। दौलत और शोहरत मिलने के बाद अक्सर लोग बहक जाते हैं और वे कभी अपने रसूख के भ्रम में दुस्साहसी हो जाते हैं। कई बार ऐसे लोग कुछ ऐसा भी कर जाते हैं जो समाज की नजर में अनैतिक और कानून के नजरिए से गुनाह होता है। फर्श से अर्श पर पहुंचने के कुछ ही दिन बाद दोबारा फर्श पर गिरने वाली एक ऐसी ही शख्सियत का नाम है गायत्री प्रसाद प्रजापति। गायत्री प्रजापति बीते सप्ताह उस वक्त अचानक सुर्खियों में आ गए थे जब चित्रकूट गैंगरेप मामले में अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए उम्रवैâद की सजा सुना दी। इसी के साथ चित्रकूट की दुष्कर्म पीड़िता द्वारा अपने फेसबुक पेज पर १७ जून २०२० को आखिरी बार शेयर की गई कुछ लाइनें ‘मत छेड़ मुझको लड़ना मुश्किल होगा, लिखेंगे ऐसा इतिहास कि पढ़ना मुश्किल होगा,’ सुर्खियों में आ गर्र्इं।
मामला ८ साल पुराना है। चित्रकूट में गंगा आरती कार्यक्रम के दौरान पीड़ित महिला अपनी निजी समस्या के समाधान की उम्मीद में एक परिचित के मार्फत तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति से मिलने आई थी। बात वर्ष २०१३ की है। इसके बाद गायत्री प्रजापति के लखनऊ आवास पर उसका आना-जाना शुरू हो गया। प्रारंभ में स्वेच्छा से तथा बाद में उसे मजबूर किया जाने लगा। असल में वह मंत्री एव उसके सहयोगियों के जाल में फंस गई। उसकी समस्या के समाधान का झांसा देकर अक्टूबर २०१४ से जुलाई २०१६ के बीच उसके साथ कई बार गैंगरेप किया गया।