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पांच वर्षों में शहर की यातायात समस्याओं को कम करना और यात्रा के समय को घटाना है।इस योजना की लागत 58,000 करोड़ रुपए है और इसमें 90 किलोमीटर से अधिक नई सड़कें, पुल, और सुरंगें शामिल होंगी। इसका मकसद शहर के चारों ओर निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करना है, जिससे उपनगरीय क्षेत्रों को आसानी से जोड़ा जा सके और गुजरात, कोंकण और पश्चिमी महाराष्ट्र तक पहुंच को सरल बनाया जा सके। मुंबई, जो लगातार बढ़ती भीड़ और यातायात जाम का सामना कर रही है, ने हाल ही में बुनियादी ढांचे में सुधार किया है। MMRDA की इस नई योजना का लक्ष्य है कि भारी यातायात को शहर के केंद्र से हटाकर नए सड़क नेटवर्क के माध्यम से तेज और कुशल यात्रा विकल्प उपलब्ध कराना।


इस योजना में सात बाहरी और आंतरिक रिंग रोड शामिल हैं, जो वर्तमान में विभिन्न विकास चरणों में हैं। इसमें बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC), महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) जैसे विकास प्राधिकरण शामिल हैं। इन नई सड़कों पर टोल लगाए जाएंगे, जिसका उद्देश्य मौजूदा ढांचे पर दबाव को कम करना है। योजना का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य "मिनटों में मुंबई" के सिद्धांत को लागू करना है, जिसका मतलब है कि शहर के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में 59 मिनट से अधिक नहीं लगना चाहिए।


  MMRDA आयुक्त डॉ. संजय मुखर्जी के अनुसार, मुंबई की भौगोलिक स्थिति और घनी आबादी के कारण ये रिंग रोड बेहद जरूरी हैं। इसके अलावा, नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और वधावन बंदरगाह जैसी परियोजनाओं के चलते आने वाले वर्षों में यातायात में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। मुखर्जी ने बताया कि इस योजना में प्रमुख परियोजनाएं शामिल हैं, जैसे वर्सोवा-बांद्रा सी लिंक और अलीबाग-विरार मल्टी मॉडल कॉरिडोर।


ये सभी सड़कें मिलकर एक पूर्ण घेरा बनाएंगी, जिससे भीड़भाड़ कम होगी और यात्रियों के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होंगे। समुद्र और जंगलों के बीच स्थित मुंबई के लिए यह रिंग रोड नेटवर्क बहुत महत्वपूर्ण है। MMRDA की ये योजनाएं जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा समर्थित हैं। उम्मीद है कि यह नया सड़क नेटवर्क शहर की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और मुंबई महानगर क्षेत्र में शहरी विकास को बढ़ावा देगा।

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