पाकिस्तान का वायु क्षेत्र प्रतिबंधित, तो कैसे उड़ रहे हैं भारतीय विमान?
भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों पर चरमपंथी हमले और फिर भारतीय वायु सेना द्वारा बालाकोट में की गई एयरस्ट्राइक को तकरीबन तीन महीने पूरे होने जा रहे हैं. इससे भारत और पाकिस्तान के बीच अभी भी ज़बरदस्त तनाव बना हुआ है और इसी तनाव के नतीजे में पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस प्रतिबंध ने अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस कंपनियों को बुरी तरह प्रभावित किया है. पाकिस्तान ने इन घटनाओं के बाद आख़िरी हफ़्ते में अपने हवाई क्षेत्र को उड़ानों के लिए बंद कर दिया था और फिर जब उसने आंशिक रूप से इसे खोला भी तो भारत की सीमा के साथ का हवाई क्षेत्र इसमें नहीं था. अब पाकिस्तान ने भारतीय उड़ानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र पर लगे प्रतिबंध को 30 मई तक न हटाने का फ़ैसला किया है. पाकिस्तान की ओर से उठाए गए इस क़दम से पूर्व से पश्चिम और पश्चिम से पूर्व की ओर जाने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ है. इसके कारण जहां हवाई कंपनियों के ख़र्चे बढ़ गए हैं वहीं उड़ानों का समय भी बढ़ गया है. कई उड़ानें जो नॉन-स्टॉप थीं अब उन्हें ईंधन के लिए रुकना पड़ता है जिसकी लागत अलग है. इस पाबंदी से सबसे ज़्यादा प्रभावित पाकिस्तान के पड़ोसी देश हो रहे हैं जिनकी कम अवधि की उड़ानों को अब एक लंबा रास्ता तय करके जाना होता है. हालांकि, इससे पूर्व और अमरीका की ओर जाने वाली उड़ानों पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है. इस समय पाकिस्तान की पूर्वी और भारत की पश्चिमी सीमा के ऊपर से उड़ानों को गुज़रने की अनुमति नहीं है. इसकी वजह से दुनियाभर से आने वाली उड़ानें इस सीमा से हटकर अपनी उड़ान भरती हैं.
पाकिस्तानी सरकार ने अब तक इस बारे में कोई फ़ैसला नहीं किया और नागरिक उड्डयन प्राधिकरण का कहना है कि वह सरकार की ओर से आए आदेश का पालन करता है और जो सरकार आगे फ़ैसला करेगी उस पर अमल किया जाएगा. इस समय पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करके कोई भी हवाई जहाज़ पश्चिमी सीमा से पूर्वी सीमा और पूर्वी सीमा से पश्चिमी की ओर नहीं जा सकता है. उदाहरण के लिए काबुल से दिल्ली की उड़ान अब पाकिस्तान के रास्ते नहीं जा सकती बल्कि उसे ईरान से होकर अरब सागर होते हुए दिल्ली का रास्ता लेना होगा. पाकिस्तान आने वाली उड़ानें या पाकिस्तान के ऊपर से गुज़र कर चीन, कोरिया और जापान जाने वाली उड़ानें पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल कर सकती हैं. हालांकि, उन्हें पश्चिमी सीमा से बचते हुए पाकिस्तान के ऊपर से गुज़र कर जाना होता है.