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मुंबई/ठाणे : देश के विभाजन के समय भारत में दो प्रधानमंत्री और एक उप प्रधानमंत्री बने, लेकिन उन्हें जम्मू-कश्मीर से चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिल पाया। पश्चिम से आने वाले किसी  भी व्यक्ति को कश्मीर की नागरिकता नहीं मिलने से वह सरपंच तक नहीं बन पाया, पर अब जम्मू-कश्मीर में आए नागरिक विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ सकेंगे। भाजपा  सरकार ने पुरानी गलतियों को सुधार कर देश का तो भला किया ही, साथ ही जम्मू-कश्मीर का भी भला किया और उन्हें न्याय देने का काम धारा 370 को हटा कर दिया है। इस  आशय का उद्गार भाजपा के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष जेपी नड्डा ने ठाणे के गड़करी रंगायतन में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किया। भाजपा की ओर से धारा 370 पर आयोजित  कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ,राष्ट्रीय महामंत्री तथा महाराष्ट्र चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय सह सचिव सतीश, सांसद कपिल पाटिल, भाजपा विधायक  संजय केलकर, विधायक निरंजन डावखरे, शहर अध्यक्ष संदीप लेले आदि नेता उपस्थित थे। वहीं हाल ही में भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री गणेश नाईक सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज  कराकर निकल गए। मुख्य वक्ता के रूप बोलते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से पूरा देश धारा 370 हटाना चाहता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने  उसे हटाने का निर्णय लेकर वैचारिक लड़ाई में सफलता हासिल की है। आज कुछ मुद्दों और भावनाओं को समझने की जरूरत है। हम धारा 370 के बारे में बताना चाहते है कि यह  कैसे आया, इससे अन्याय कैसे हुआ और यह गया कैसे। उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस के लोग स्पेशल दर्जा बताकर देश को गुमराह कर रहे थे। धारा 370 अस्थाई है, यह पहले  पन्ने पर लिखा गया है, जो परिवर्तनशील है। नड्डा ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू जानते थे कि विशेष दर्जा देने के मुद्दे को समर्थन नहीं मिलेगा। इसलिए उन्होंने शेख अब्दुल्ला  को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर से मिलने के लिए कहा था, जिस पर बाबासाहेब ने कहा कि सड़क और राशन देने के बाद तु्हारी सीमाओं को सुरक्षा देना संभव नहीं है। नड्डा ने कहा  कि महाराजा हरी सिंह ने जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करते हुए कहा था कि यह देश का 15वां राज्य बनेगा। जम्मू-कश्मीर में पहला विधानसभा चुनाव हुआ। डोंगरा के नेतृत्व  में 35 लोगों ने उम्मीदवारी का नामांकन भरा था, लेकिन शेख अब्दुल्ला ने सभी आवेदन अपने अधिकारों से खारिज कर दिया। उनके 75 विधायक चुनकर आए। इसके बाद से धारा 370 का विरोध शुरू हुआ। अलगाववादी ताकतों को शक्ति मिलने लगी, जिसके बाद नेहरू को समझ में आया कि शेख अब्दुल्ला ने देश को धोखा दिया है। इसके बाद दिल्ली में  समझौता हुआ, जो रिकॉर्ड में नहीं है। उसमें नेहरू ने जम्मू-कश्मीर को अलग दर्जा मान लिया, जो उनकी दूसरी भूल थी। उस समय 10 हजार लोग गिरफ्तार हुए और 18 लोगों ने  बलिदान दिया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भी बलिदान दिया। वर्ष 1954 से पहले कश्मीर में आए लोगों को नागरिकता का अधिकार नहीं दिया गया, जो संविधान के विपरीत है।  संविधान के 46 संशोधन भी कश्मीर में लागू नहीं हुए। नड्डा ने कहा कि इंद्रकुमार गुजराल, डॉ.मनमोहन सिंह और लालकृष्ण आडवाणी भारत में आकर प्रधानमंत्री और उप प्रधानमंत्री  बने, लेकिन कश्मीर से चुनाव भी नहीं लड़ पाए। जम्मू-कश्मीर में आया व्यक्तिसरपंच भी नहीं बन पाया। अब गुजर, बकवाल, एससी, एसटी के लोग भी लोकसभा और विधानसभा  का चुनाव लड़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आदेश जारी कर धारा 370 को समाप्त कर दिया। इसके साथ ही 35 अ के उपयोग पर भी रोक लगा  दिया, अब इसका उपयोग नहीं किया जाएगा। पांच अगस्त को पहले राज्यसभा और छह अगस्त को लोकसभा में धारा 370 को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया गया। अब पूर्व  और पश्चिम से आया कोई भी व्यक्ति कश्मीर से चुनाव लड़ सकता है। हमने अपना संकल्प पूरा कर देश और जम्मू-कश्मीर का भला किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं के  बयान को आधार बनाकर पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा ले गया, जिसे विश्व के एक भी राष्ट्र का समर्थन नहीं मिला। पूरे विश्व के देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले  का समर्थन में दिखे।


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