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चिन्मयानंद केस में चश्मे का राज अभी नहीं खुल पाया। चश्मा बरामदगी के लिए एसआईटी ने नाला तक साफ करा दिया, लेकिन सफलता तब भी नहीं मिली। एसआईटी अगर छात्रा को रिमांड पर लेती तो चश्मा बरामदगी की संभावना थी, लेकिन बवाल हो जाने के डर से एसआईटी छात्रा को रिमांड पर लेने की हिम्मत नहीं जुटी सकी। अंत में चार्जशीट दाखिल करते वक्त एसआईटी ने यही कहा कि चश्मे को छात्रा और संजय ने कहीं हटाया है, वह उसे बरामद नहीं होने देना चाहते हैं। चश्मे में लगे खुफिया कैमरे से ही छात्रा ने वीडियो बनाए थे। कानून के जानकार यह बताते हैं कि लड़की ने एसआईटी को और मीडिया को यह बताया कि उसी ने वीडियो बनाए, लेकिन चश्मा बरामद नहीं हुआ। इसके पीछे कानून के जानकारों का मानना है कि चश्मा अगर मिल जाता तो वह छात्रा के खिलाफ जाता। यह भी हो सकता है कि चश्मे से चिन्मयानंद के अलावा भी कुछ और राज छिपा हो, उस राज को छात्रा और संजय सामने नहीं आने देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उसे गायब कर दिया। वहीं कानूनविदों का कहना है कि चश्मे की बरामदगी से छात्रा पर आरोप और पुख्ता हो जाते, इसलिए भी चश्मा सामने नहीं आने दिया गया। कुछ काननूविदों का कहना है कि चश्मा बरामदगी से छात्रा और संजय पर कानून का शिकंजा तो कसता ही, साथ ही चश्मा चिन्मयानंद के खिलाफ भी बड़ा सबूत था। 

पूरे केस की विवेचना के केंद्र में चश्मा ही मुख्य सबूत था, जो अब तक बरामद नहीं हुआ है। इस मामले में एसआईटी चीफ नवीन अरोड़ा ने कहा था कि उन्होंने वीडियो में जो चीजें दिख रही थीं, उन सबका भौतिक सत्यापन कराया था। जैसे चादर, अलमारी व अन्य चीजें भी ऐसी थीं जो बरामद की गई थीं। चिन्मयांनद से रंगदारी मामले में सौदा करने सचिन सेंगर गया था। वह 09 अगस्त को चिन्मयानंद से मिला था, इसके बाद एक और बार उसकी मुलाकात चिन्मयानंद से हुई। इस दौरान सचिन चिन्मयानंद को सब बातें बताता रहा, ऐसा तो संजय सिंह ने भी एसआईटी को बताया था। जब छात्रा को लेकर एसआईटी मुमुक्षु आश्रम के दिव्यधाम स्थित शयनकक्ष में गई थी, तब वहां का पूरा हुलिया ही बदला हुआ था। कमरा पेंट हो चुका था। बहुत सी चीजें वहां से हटा दी गई थीं। नए पर्दे पड़े हुए थे। अलमारी भी नहीं रखी थी। तब छात्रा ने कहा कि यहां तो सबकुछ बदल चुका है। इसके बाद भी एसआईटी ने शयनकक्ष से कुछ ऐसी चीजें बरामद की थीं, जो वीडियो में दिख रही थीं। उसी आधार पर वीडियो का सत्यापन माना गया। सूत्र बताते हैं कि शयन कक्ष का रंगरोगन और सामान आदि बदलने की सलाह सचिन ने ही चिन्मयानंद को दी थी, तब वहां सबकुछ बदला गया। 


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