Latest News

मुंबई: ग्रामीण इलाकों की तरह जल्द ही राज्य के शहरी इलाकों में भी कुपोषण से लड़ने के लिए सेंटर की शुरुआत की जाएगी। जहां गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार बच्चों (सैम) को न केवल पोषित आहार उपलब्ध कराया जाएगा, बल्कि नियमित रूप से उनकी मॉनीटरिंग भी होती रहेगी। महाराष्ट्र महिला एवं बाल विकास विभाग (डब्ल्यूसीडीडी) से मिली जानकारी के अनुसार, सेंटर शुरू करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। उच्च अधिकारी की अनुमति मिलने के बाद इसकी शुरुआत की जाएगी। आंकड़ों के अनुसार, देश में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामलों में 69 प्रतिशत मौतें कुपोषण के कारण होती हैं। ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2018 के अनुसार, कुपोषण से मुक्ति के मामलों में हम पड़ोसी देशों से भी पीछे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने 2022 तक देश को कुपोषण से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। आंकड़ों के अनुसार, राज्यभर में तकरीबन 85 हजार बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार हैं। इनमें से लगभग 8 हजार बच्चे मुंबई सहित राज्य के शहरी इलाकों से हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में कुपोषण से जंग लड़ने के लिए 'विलेज चाइल्ड डिवेलपमेंट सेंटर' पर शुरू हुई 'एनर्जी डेंस न्यूट्रिशिएस फूड' (ईडीएनएफ) की सफलता के बाद डब्ल्यूसीडीडी ने इसकी शुरुआत अब शहरी इलाकों में करने का भी फैसला लिया है।

डब्ल्यूसीडीडी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में गंभीर रूप से कुपोषण की समस्या से जूझने वाले बच्चों को आंगनवाड़ी सेंटर पर ईडीएनएफ दिया जाता है। यह एक तरह का पेस्ट है, जिसमें सेंगदाना, ऑयल, शुगर विटामिंस, मिल्क पावडर और मिनरल का मिश्रण होता है। यह बच्चों को तब तक दिया जाता है, जब तक उनका वजन न बढ़ जाए। राज्य के शहरी इलाकों में कुपोषण की समस्या को देखते हुए विभाग ने यही प्लान शहरी क्षेत्रों में भी शुरू करने का फैसला लिया है, जिसे अर्बन चाइल्ड डिवेलपमेंट सेंटर (यूसीडीसी) के नाम से जाना जाएगा और यह ग्रामीण की ही तरह शहरी आंगनवाड़ी केंद्रों पर होगा, जहां गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार बच्चों को यह विशेष फूड पेस्ट दिया जाएगा। गौरतलब है कि बच्चों की लंबाई के अनुसार उनके वजन में कमी की समस्या को कुपोषण के रूप में लिया जाता है। इससे बच्चों को न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक समस्याओं से भी जूझना पड़ता है।

डब्ल्यूसीडीडी सचिव आई.ए. कुंदन ने कहा कि शहरी इलाकों के बच्चों में भी गंभीर रूप से कुपोषण का शिकार होने के मामले हैं। आंगनवाड़ी केंद्रों पर इन्हें खाने को तो दिया जाता है, लेकिन उनमें ईडीएनएफ शामिल नहीं है, जो कि कुपोषण से लड़ने में अहम है। ऐसे में हमने शहरी इलाकों में भी इसे शुरू करने का फैसला लिया है। भारत शहरी इलाकों में इसे शुरू करने वाला दक्षिण एशिया का पहला देश होगा। इस बारे में प्रस्ताव तैयार है, जल्द ही हरी झंडी मिलने के बाद इसकी शुरुआत की जाएगी। मुंबई में हेल्थ के लिए काम करने वाली संस्था प्रजा फाउंडेशन की जेनिफर ने कहा कि यह बेहद ही प्रभावी कदम आने वाले दिनों में साबित हो सकता है। शहरी क्षेत्रों में काम करने के दौरान अक्सर हम देखते हैं कि बच्चे कुपोषण की समस्या से परेशान रहते हैं।


Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement