मुंबई, बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक तीखी टिप्पणी में कहा कि 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में मुकदमे में कोई प्रभावी प्रगति नहीं हुई है। इस मामले में भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक आरोपी हैं। उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से इस देरी पर सफाई भी देने को कहा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बी पी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ मामले के दूसरे आरोपी समीर कुलकर्णी की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया था कि अभियोजन, एनआईए और कुछ अन्य आरोपी जानबूझकर मुकदमे में देरी करा रहे हैं। कुलकर्णी ने इशारा किया कि उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2018 में मुंबई में विशेष एनआईए अदालत को आदेश दिया था कि मुकदमे में तेजी लाई जाए, लेकिन पिछले छह महीने में केवल 14 गवाहों से पूछताछ की गयी है। अदालत ने जनवरी 2019 में एनआईए अदालत के न्यायाधीश से कहा था कि अगर कोई व्यक्ति निचली अदालत के साथ सहयोग नहीं कर रहा तो सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दी जाए। निचली अदालत द्वारा मंगलवार को जमा की गयी दो रिपोर्टों का अध्ययन करने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा, प्रथमदृष्टया हमें पता चला कि अभी तक मुकदमे में कोई प्रभावी प्रगति नहीं हुई है। पीठ ने एनआईए को यह बताने को कहा कि मुकदमा इतना लंबा क्यों चला। पीठ ने सुनवाई 16 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। महाराष्ट्र के मालेगांव कस्बे में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बांधे गये विस्फोटक उपकरण से हुए विस्फोट में छह लोग मारे गये थे और 100 लोग घायल हो गये। पिछले साल भोपाल से लोकसभा चुनाव जीतने वाली प्रज्ञा सिंह ठाकुर मामले की मुख्य आरोपी हैं। अन्य आरोपियों में सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी हैं। .

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