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नागपुर : बार-बार अपील करने के बाद भी पढ़े-लिखे लोग कोरोना जैसे जानलेवा वायरस के प्रति गंभीरता नहीं बरत रहे और ट्रेनों में सफर करके अपने साथ अन्य नागरिकों की भी जान खतरे में डाल रहे हैं. ऐसा ही एक मामला ट्रेन 12622 दिल्ली-चेन्नई तमिलनाडु एक्सप्रेस में सामने आया जिसमें रूस से लौटे युवक को 14 दिनों तक होम क्वारंटाइन की सख्त हिदायत दी गई थी. बावजूद इसके उसने ट्रेन के जरिये अपने घर जाने का खतरा मोल लिया.
जानकारी के अनुसार, उक्त 21 वर्षीय युवक रूस की राजधानी मास्को में एमबीबीएस प्रथम वर्ष का छात्र है. वह मूलत: विजयवाड़ा का रहने वाला है. रूस में बढ़ते कोरोना के प्रभाव और रविवार रात से भारत में प्रवेश करने वाली सारी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक जानकारी मिलते ही वह शनिवार तड़के मास्को से दिल्ली लौट गया. विदेशी यात्रा के कारण उसके हाथ पर होम क्वारंटाइन का ठप्पा लगाया गया. लेकिन सरकारी निर्देश मानने की बजाय युवक ने तमिलनाडु एक्सप्रेस का टिकट बनाकर बी2 कोच की बर्थ 39 पर सफर शुरू कर दिया.
बी2 कोच में युवक समेत कुल 61 यात्री थे. करीब 15 घंटे की यात्रा तक किसी को पता नहीं चला. लेकिन इटारसी स्टेशन से ट्रेन रवाना होने के बाद एक सहयात्री को उसके हाथ पर ठप्पा दिखाई दिया. तुरंत ही टीटीई और कोच अटेंडेंड की मदद से रेल प्रशासन को सूचित कर दिया गया. युवक को नागपुर स्टेशन पर उतारने की तैयारी शुरू की गई.
जानकारी मिलते ही मध्य रेल नागपुर मंडल के एसीएम एसजी राव ने स्थानीय प्रशासन को सूचित किया. ट्रेन आने से पहले ही डाक्टर और स्टाफ 2 एंबुलेंस लेकर स्टेशन पर पहुंच गये. ट्रेन दोपहर 2.35 बजे प्लेटफार्म 2 पर पहुंची तो रेलवे अधिकारी, रेलवे सुरक्षा बल और जीआरपी के 50 से अधिक सुरक्षाकर्मियों ने पूरा कोच घेर लिया. युवक को कोच से उतारकर रेलवे डाक्टर द्वारा जांच की गई. इस दौरान युवक समेत वहां मौजूद हर किसी के चेहरे पर कोरोना का खौफ नजर आ रहा था. उधर, रेलवे डाक्टर द्वारा प्राथमिक जांच के बाद युवक में कोरोना के कोई लक्षण नहीं मिले, लेकिन विदेश यात्रा के चलते होम क्वारंटाइन वाली सावधानी जरूरी थी. ऐसे में युवक को मेयो हास्पिटल ले जाने की बजाय एमएलए होस्टल भेज दिया गया.

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