नागपुर : 8 बजे से ही रास्ते पर डटी पुलिस; सड़कों पर सन्नाटा, जगह-जगह नाकाबंदी
नागपुर : जनता कर्फ्यू के मद्देनजर पिछले 3 दिनों से लगातार पुलिस विभाग जद्दोजहद कर रहा है. ड्यूटी सामान्य से अधिक हो रही है, लेकिन चेहरे पर शिकन नहीं. देश सेवा की भावना यहां देखने को मिलती है. जब कोरोना के डर से कोई भी रास्ते पर नहीं निकला. वहीं पुलिस सुबह 8 बजे से रास्तों पर डट गई. सुबह 7 बजे ही कर्मचारियों की फालिंग हो गई. रोलकॉल के बाद सभी को अलग-अलग स्थानों पर तैनाती दे दी गई. सड़कों पर केवल सन्नाटा था. ऐसे में यदि कोई सड़क पर था तो केवल पुलिस. जगह-जगह पुलिस ने नाकाबंदी लगा रखी थी. सीपी उपाध्याय और ज्वाइंट सीपी रवींद्र कदम के नेतृत्व में सभी अधिकारी और कर्मचारी अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे थे. ऐसे में भी कुछ लोगों को मजबूरन घर से निकलना पड़ा. ऐसे में उन्हें चप्पे-चप्पे पर पुलिस की निगरानी से गुजरना पड़ा. घर से बाहर निकलने का वाजिब कारण जानने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया.
बंदोबस्त में तैनात पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों से बात करने पर पता चला कि शनिवार को भी देर रात तक उनकी ड्यटी चलती रही. शहर भर में नाकाबंदी करके बेवजह रास्तों पर घूमने निकले लोगों को पकड़ा गया. रविवार को भी सुबह 7 बजे से ड्यूटी पर आना पड़ा. ऐसे में उनके परिजन भी चिंता में हैं. परिवार का कहना है कि कोरोना किसी को भी हो सकता है. नागरिकों का सबसे ज्यादा संपर्क पुलिस से ही आता है. ऐसे में खतरा तो उन्हें भी है. परिजन चिंतित है, लेकिन क्या कर सकते हैं. हमें तो अपनी ड्यूटी पूरी करनी है. नागरिकों की सेवा के लिए ही हमें तनख्वाह मिलती है. प्रधानमंत्री ने हमें राष्ट्र रक्षक की उपाधि दी है. राष्ट्र की रक्षा करना हमारा फर्ज है. पता नहीं और कितने दिन इसी तरह ड्यूटी करनी पड़ेगी, लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे.
सीपी उपाध्याय जानते थे कि सुबह से बंदोबस्त में तैनात होने वाले पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को जनता कर्फ्यू के दौरान खाने-पीने की कोई वस्तु नहीं मिलेगी. ऐसे में पहले से ही पुलिस के लिए फूड पैकेट के इंतजाम किए गए थे. डीआईजी नीलेश भरणे और डीसीपी विक्रम साळी ने कैटरिंग सर्विस और अधिकारियों के साथ समन्वय कर शहर भर में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए फूड पैकेट पहुंचाए. हालांकि अधिकारी और कर्मचारी अपने घर से भी खाने की व्यवस्था करके निकले थे. ऐसे में कई कर्मचारियों ने अपना भोजन फुटपाथ पर रहने वाले गरीबों को बांट दिया. अच्छी भोजन व्यवस्था के लिए अधिकारियों का आभार माना.