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उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा में वर्तमान समय में शिवसेना, टीओके और आरपीआई गठबंधन का  मनपा में महापौर और उप महापौर है. वहीं, मनपा की तिजोरी समझी जाने वाली स्थायी समिति पर भाजपा का कब्जा है. भाजपा के राजेश वधारिया का कार्यकाल समाप्त हो जाने से रिक्त हुई इस समिति के सभापति पद का चयन 22 सितंबर को होना है. इसलिए शिवसेना- टीओके-आरपीआई महागठबंधन का अब सीधे मुकाबला भाजपा और साईं पार्टी के गठबंधन के उम्मीदवार से होगा.  

गौरतलब है कि साल 2017 में मनपा के हुए आम चुनाव में भाजपा और टीओके ने मिलकर चुनाव लड़ा था, इसमें टीओके के उम्मीदवार भाजपा की निशानी पर चुनावी मैदान में उतरे थे. साई पार्टी और शिवसेना सहित आरपीआई ने अपना स्वतंत्र भाग्य आजमाया था. टीओके और भाजपा गठबंधन ने साईं पार्टी के समर्थन से मनपा में सत्ता हासिल की और गठबंधन के कारण भाजपा की मीना कुमार आयलानी को मनपा में भाजपा की पहली महापौर बनने का अवसर प्राप्त हुआ. तब शिवसेना और एनसीपी विपक्ष में थी. 2019 में संपन्न विधानसभा के चुनाव में कालानी परिवार को ठोस आश्वासन देने के बाद भी भाजपा हाईकमान ने टिकट नहीं दिया तो विधानसभा चुनाव के दौरान टीओके और भाजपा फिर अलग-अलग हो गए. विधानसभा चुनाव में भाजपा के कुमार आयलानी एनसीपी की ज्योति पप्पू कालानी को एक कड़े मुकाबले में किसी तरह हराने सफल हुए. 

मनपा का चुनाव मिलकर लड़ने वाले टीओके और भाजपा विधानसभा चुनाव के बाद अलग-अलग हो गई. वहीं राज्य में भी सत्ता परिवर्तन हो गया. भाजपा के साथ रहने वाली शिवसेना ने राकांपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर राज्य में सत्ता स्थापित की. राज्य के गठबंधन का असर उल्हासनगर में देखने को मिला. नवंबर 2019 में हुए उल्हासनगर मनपा महापौर के चुनाव में टीओके ने शिवसेना को अपना समर्थन दिया, जिस कारण महापौर पद के भाजपा के उम्मीदवार और साई पार्टी के अध्यक्ष जीवन इदनानी को हार का सामना करना पड़ा. इसमें शिवसेना की लीलाबाई आशान महापौर बनने में कामयाब रही. 

मंगलवार 22 सितंबर को मनपा की स्थायी समिति के सभापति के लिए चुनाव होना है. 16  सदस्यों वाली समिति में भाजपा के 9 सदस्य है. शिवसेना के 5, आरपीआई 1 और एनसीपी का 1 सदस्य है. इस पद को अपने पक्ष में रखने के लिए भाजपा ने अपनी कोशिशें तेज कर दी है. महापौर के चुनाव में पर्याप्त संख्या होने के बाद भी ऐन मौके पर टीओके द्वारा भाजपा का साथ छोड़ देने के कारण भाजपा को पराजय स्वीकारनी पड़ी थी. शिवसेना और आरपीआई गठबंधन को बिना शर्त समर्थन दिए जाने से सत्ता में रहने वाली भाजपा को अब विपक्ष की भूमिका निभानी पड़ रही है. टीओके के जो नगरसेवक है वह सभी भाजपा की निशानी कमल पर चुनाव लड़े है. इसलिए मनपा के रिकॉर्ड में भाजपा के जो 9 सदस्य है उनमें टीओके के नगरसेवकों का समावेश है. कुल मिलाकर अब सभी की निगाहें मनपा के स्थायी समिति सभापति के चुनाव और उसके परिणाम पर लगी है.  


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