आम नागरिकों को है लोकल का इंतजार
मुंबई : आम नागरिकों को जून आखिरी तक ही लोकल सेवा में आने - जाने की छूट मिलने की संभावना नजर आ रही है। नौकरी करने वालों को जहां लोकल में सफर का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं बेस्ट बेड़े में भी बसों की कमतरता उनके लिए परेशानी खड़ी कर रही है। बेस्ट बेड़े में जुलाई - अगस्त में 400 बसें आने की संभावना व्यक्त की जा रही है, जिससे नौकरी करने वालों को बस स्टॉप पर अभी और प्रतीक्षा करने को मजबूर होना पड़ेगा। बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर में आई कमी के बाद ब्रेक द चेन के तहत छूट मिलने लगी हैं, लेकिन नौकरी करने वाले लोगों की परेशानियां दूर होने का नाम नहीं ले रही हैं। मुंबई लेवल 1 में आने के बावजूद मनपा ने मुंबई के आम नागरिकों के लिए लोकल की सुविधा अभी भी देने से इंकार किया है। नौकरी करने वालों के सामने लोकल की सुविधा नहीं मिलेने से परेशानी तो बढ़ी ही हैं। वहीं बेस्ट बेड़े में भी बस की कमतरता से बस स्टॉप पर यात्रियों को घंटों इंतजार करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। बेस्ट बेड़े में बसों की संख्या बढ़ाने के लिए नई बसें खरीदने का ठेका दिया गया है, जो जुलाई - अगस्त में 400 बस मिलने की संभावना है। इसके अलावा बेस्ट प्रशासन ने मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल को पत्र लिखकर बेस्ट बेड़े में डबल डेकर और सिंगल डेकर की बस लेने के लिए सहायता करने की गुहार लगाई है। इस तरह का प्रस्ताव मनपा आयुक्त के पास भेजा है, इस तरह की जानकारी बेस्ट समिति अध्यक्ष आशीष चेम्बूरकर ने दी।
बेस्ट बेड़े में अभी 3 हजार से अधिक बसें हैं , लेकिन इसमें 50 प्रतिशत बस मिनी बस हैं, जो कि मात्र 26 सीट की हैंं। अभी फिलहाल बसों में खड़े होकर यात्री ले जाने की छूट नहीं होने से लोगों को अधिक परेशानी हो रही है। लोकल सेवा भी आम लोगों को उपलब्ध नहीं होने से परेशानी अधिक बढ़ गई है। कोरोना मरीजों की संख्या घटने पर लोकल सेवा आम नागरिकों के लिए शुरू करने की मांग की जा रही थी, लेकिन मनपा प्रशासन के रुख से तो साफ है कि जून आखिरी तक ही आम नागरिकों को लोकल में चढ़ने की अनुमति मिल सकती है। वह भी तीसरी लहर की कोई आहट नहीं लगी तो? बेस्ट में खड़े होकर यात्रा करने की छूट नहीं होने और मिडी बस में यात्रियों की ढोने का प्रमाण कम होने से बस को लेकर यात्रियों और बेस्ट कर्मचारियों के बीच कहीं न कहीं रोजाना विवाद होते पाया जाता है, लेकिन बेस्ट कर्मचारीयों की भी अपनी मजबूरी है ।