मुंबई : राष्ट्रवादी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि दो साल पहले केंद्र ने राज्य के अधिकार वापस ले लिए थे। अब संसद में संविधान संशोधन के जरिए राज्यों को ओबीसी की सूची तैयार करने का अधिकार दिया, ऐसे में कई लोगों को यह लगा कि केंद्र ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन केंद्र ने सरासर धोखाधड़ी की है।  यहां राष्ट्रवादी भवन में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा कि वर्ष 1992 में 9 न्यायाधीशों की खंडपीठ ने इंदिरा साहनी विरुद्ध भारत सरकार के केस में आरक्षण संबंधी महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा था कि आरक्षण 50 फीसदी की सीमा से अधिक नहीं दिया जा सकता। इस बीच एक और संविधान संशोधन के जरिए आरक्षण 10 फीसदी बढ़ाने का प्रावधान किया गया। कहा गया कि राज्य सरकार सूची तैयार कर ओबीसी को आरक्षण दे सकती है, लेकिन इसका प्रत्यक्ष रूप से कोई उपयोग नहीं होगा। पवार ने कहा कि आज देश के तकरीबन 90 फीसदी राज्यों में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण है। उन्होंने आंकड़े बताते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में 63, तमिलनाडु में 69, हरियाणा में 57, राजस्थान में 54, लक्षद्धीप में 100 नागालैंड में 80, मिजोरम 80, मेघालय 80, अरुणाचल प्रदेश में 80 फीसदी आरक्षण है।  उन्होंने कहा कि लगभग सभी राज्यों में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है, इसलिए राज्यों को अधिकार दिया, इसमें कोई तथ्य नहीं है। केंद्र सरकार ने ओबीसी वर्ग को धोखा दिया है। इसे लोगों के ध्यान में लाना हमारी जिम्मेदारी है। पवार ने कहा कि राकांपा इस सामाजिक मुद्दे पर सभी को एकजुट करके विरोधी जनमत तैयार करना चाहती है। पवार ने कहा कि जब संसद में यह विषय आया, उस वक्त लोकसभा में सुप्रिया सुले ने पार्टी की भूमिका रखी। उसमें आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को हटाने को कहा गया। दूसरी तरफ इम्पिरिकल डेटा मिलना चाहिए, इसके लिए छगन भुजबल कई दिनों से मांग कर रहे हैं। यह डेटा मिलने के लिए जातिगत जनगणना होनी चाहिए। यह जब तक नहीं होगी ओबीसी वर्ग को न्याय नहीं मिल सकता। शरद पवार ने कहा कि हम लोग जगह-जगह पर जाकर लोगों की सभा लेंगे और उन्हें हकीकत बताएंगे। जब लोगों को इसकी जानकारी मिलेगी। तब केंद्र सरकार पर भी दबाव आएगा।


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