ब्जी बेचने वाले की बेटी ने 'रोशन' की अपनी दुनिया
मुंबई, 13 साल पहले जोगेश्वरी निवासी रोशन जव्वाद ने एक ट्रेन
दुर्घटना में अपने दोनों पैर खो दिए। उस दिन उन्हें लगा कि उनकी जिंदगी ठहर
गई। रोशन को लगा कि उनके बचपन का सपना कभी पूरा नहीं होगा। वह अब कभी
डॉक्टर नहीं बन सकेंगी। रोशन ने हिम्मत नहीं हारी। खुद को मजबूत किया और
कानूनी लड़ाई और अब वह पैथोलॉजी में एमडी कर रही हैं। रोशन को बोन ट्यूमर
भी है, लेकिन उनकी कोई कमजोरी उनके सपनों के आड़े नहीं आती। 29 साल की रोशन
कहती हैं, 'मैं एमडी पास करके बहुत खुश हूं। यह करने मेरे लिए मुश्किल था,
लेकिन मैंने खुद से वादा किया था कि मैं हार नहीं मानूंगी।' अक्टूबर 2008
में रोशन अपने स्कूल बांद्रा के अंजुमन-ए-इस्लाम गर्ल्स कॉलेज परीक्षा देने
गई थीं। वहां से वह अपने स्कूल के दोस्त के साथ ट्रेन से अंधेरी से
जोगेश्वरी लौट रही थीं। रोशन का पांव फिसल गया और वह पटरियों पर गिर गई।
उनके पैर चलती ट्रेन के नीचे आ गए।
तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के
बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दसवीं कक्षा में 92.2 फीसदी अंक
प्राप्त किए। सब्जी विक्रेता की बेटी का डॉक्टर बनने का सफर आसान नहीं रहा।
प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद भी उन्हें एमबीबीएस में प्रवेश के लिए
बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
रोशन ने बताया कि नियम था कि
सिर्फ 70 फीसदी तक विकलांग लोग ही मेडिकल की पढ़ाई कर सकते हैं। लेकिन वह
दुर्घटना के बाद 86 फीसदी तक विकलांग हो गई थीं। कानूनी लड़ाई के दौरान उसे
कई चक्कर लगाने पड़े, यहां तक कि आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा।
लंबी
लड़ाई के बाद आखिर रोशन को जीत मिली। बॉम्बे हाई कोर्ट के तत्कालीन मुख्य
न्यायाधीश, न्यायमूर्ति मोहित शाह ने रोशन को मेडिकल में प्रवेश देने का
आदेश दिया। रोशन ने सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज (केईएम अस्पताल) से 2016 में
प्रथम श्रेणी के साथ एमबीबीएस पास किया। उसने 2018 में पीजी मेडिकल प्रवेश
परीक्षा को क्रैक किया और उसी कॉलेज में एमडी (पैथोलॉजी) के लिए प्रवेश
लिया। रोशन ने बताया, 'एमडी में प्रवेश से पहले, मुझे 86 फीसदी विकलांगता
की समान समस्या का सामना करना पड़ा। फॉर्म ऑनलाइन आवेदन करने थे और मेरे
पास केवल दो दिन थे। तत्कालीन सांसद किरीट सोमैया ने मेरे दस्तावेजों के
साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की। मुझे पता चला कि नियम बदल
गया। मैंने आवेदन किया और प्रवेश लिया।'
एमडी कर रही रोशन सेकंड ईयर में
थीं, तभी उन्हें हड्डी के ट्यूमर होने का का पता चला। 'मेरा ऑपरेशन किया
गया और इस दौरान हमारी एचओडी, डॉ. अमिता जोशी, मेरे बैचमेट्स, शिक्षकों और
दोस्तों ने मेरी बहुत मदद की।' बुधवार को घोषित एमडी परिणामों में,
उन्होंने केईएम पैथोलॉजी विभाग में 65 फीसदी अंक हासिल किए और चौथे नंबर पर
रहीं। रोशन ने कहा कि एमबीबीएस और एमडी करने के बाद अब उनकी दो साल की
बॉन्ड सेवा है और वह इसे पहले पूरा करेंगी। इसके बाद अगर किसी सरकारी
अस्पताल में वैकेंसी होगी तो वह आवेदन करेंगी।