१०० से अधिक दीयों की डिजाइन, महाराष्ट्र के दीयों से जगमगाएगा देश!
मुंबई, संतों और वीरों की भूमि महाराष्ट्र, जिसने अपनी शूरवीरता तथा संत उपदेशों से लोगों के मन के अंधकार तथा कायरता को दूर कर उनके जीवन को प्रकाशित किया। एक बार फिर महाराष्ट्र कोरोना को पराजित कर प्रगति पथ पर खड़ा हो गया है। यहां के मेहनतकश मजदूर, लोगों के मन की निराशा को दूर कर उनके जीवन में प्रकाश लाने के लिए मिट्टी के दीयों का निर्माण कर रहे हैं, जो पूरे देश को प्रकाशित करेगा। मुंबई में एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी धारावी है। यहां साढ़े १२ एकड़ में ३ हजार कुंभार परिवार रहते हैं। ये परिवार देश की मिट्टी से विविध वस्तुएं निर्माण कर लोगों की जरूरतों को पूरा करते हैं। यूं तो यहां का मेहनतकश प्रजापति समाज साल के १२ महीने मिट्टी का ही कार्य करता है लेकिन जब दीपावली आती है तो वह ज्यादा सक्रिय हो जाता है।
प्रजापति
समाज के महाराष्ट्र अध्यक्ष धनसुख परमार बताते हैं कि इस वर्ष दीपावली के
दीये बनाने के लिए १२० ट्रक मिट्टी मंगाई गई हैं। प्रत्येक ट्रक में १० से
१२ टन मिट्टी आती है। महाराष्ट्र के पेन, पनवेल तथा गुजरात के थान जिले से
मंगाई गई हैं। धारावी के कुंभकारों के लिए प्रजापति समाज की सोसाइटी है, जो
उन्हें कच्चा माल उपलब्ध कराने में उनकी मदद करती है।
संत
गोरा कुम्हार मार्ग धारावी, कुंभारवाड़ा में वैश्वी अर्थन पाट के निर्माता
प्रजापति मोहन जेठवा बताते हैं कि इस वर्ष यहां के कुंभकारों ने १०० से
अधिक मिट्टी के दीयों की डिजाइन तैयार की गई हैं। जिनमें तुलसी, स्वस्तिक,
कुबेर, कमल, त्रिशूल, गणेश, लक्ष्मी पान तथा सन दीया की मांग ज्यादा है।
प्रत्येक दीये को ४ या ६ के सेट में पैक किया जाता है, जिसकी होलसेल बाजार
में १६ से लेकर २० रुपए तक कीमत है। महाराष्ट्र के धारावी से निर्माण किए
गए दीये दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित दक्षिण भारत के
अन्य राज्यों में ज्यादा बिकते हैं।
धारावी में १२०
ट्रक मिट्टी मंगाकर दीयों का निर्माण किया गया है। एक टन मिट्टी से ४० से
५० हजार दीया तैयार किया जाता है। प्रजापति समाज के सदस्य कमलेश वारिया
कहते हैं कि महाराष्ट्र सहित देश से कोरोना अब लगभग समाप्त हो चुका है।
राज्य की आर्थिक व्यवस्था सुधारने में मदद करने के लिए मजदूर फिर से मैदान
में उतर रहे हैं। धारावी का प्रजापति समाज स्कूल कॉलेज जानेवाले जरूरतमंद
विद्यार्थियों, गरीब महिलाओं एवं पुरुषों को काम देकर उनकी आर्थिक स्थिति
सुधारने में मदद करने का प्रयास कर रहा है।