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     शिवसेना नेता व सांसद गजानन कीर्तिकर लगभग पिछले एक दशक से अपने क्षेत्र में कभी नजर नहीं आए लोग हमेशा उन्हें ढूंढते रहते हैं उन्होंने आज तक अपने क्षेत्र में कोई  प्रोग्राम नहीं लिया और ना कभी गरीब जनता की सुध ली उन्होंने महाविकास आघाड़ी पर चुटकी लेते हुए कहा कि 'ठाकरे सरकार' तो सिर्फ नाम है, असली लाभ तो 'पवार सरकार' ले रही है. शिवसेना विधायक राज्य सरकार से निधि मांगते हैं जिससे वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्य करवा सकें लेकिन ग्राम विकास मंत्रालय की योजनाओं से निधि हासिल करने में कड़ी स्पर्धा देखने को मिलती है.

मुंबई के शिवसेना विधायकों की हालत कुछ बेहतर है क्योंकि मुंबई में सीएम फंड, नगर विकास फंड रहता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के जो जनप्रतिनिधि रहते हैं, उन्हें अपने चुनाव क्षेत्रों में कितने ही गांव देखने पड़ते हैं. सांसद कीर्तिकर ने कहा कि उनसे जितनी भी हो पाती है, उतनी मदद ऐसे विधायकों की अवश्य करते हैं. यह सही है कि एनसीपी के पास मलाईदार विभाग हैं, साथ ही उसका दबदबा भी काफी है, इसलिए शिवसेना उसकी तुलना में हल्की पड़ती है.

यदि राज्य में बीजेपी-शिवसेना की युति सरकार होती तो शिवसेना को इतनी कम निधि नहीं मिलती. अगर शिवसेना विधायक अपने क्षेत्र में पर्याप्त विकास कार्य नहीं करवा पाए तो जनाधार कैसे मजबूत कर पाएंगे और उनका चुनावी भविष्य क्या होगा?

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