Latest News

मुंबई : मनपा अस्पतालों में अक्सर दवाइयों की किल्लत को लेकर हंगामा होता है। हो भी क्यों न दो साल का स्टॉक यदि एक साल में ही निपट जाए तो प्रश्न उठना लाजिमी है। आखिकार दवाइयों जा कहां रही है? इस समस्या को सुलझाने के लिए मनपा के अधिकारियों ने हर दवाई पर बारकोड अंकित करने का सुझाव वरिष्ठों के समक्ष रखा है।
बता दें कि मनपा दो वर्ष की दवाइयों के लिए ४५० करोड़ रुपए खर्च करती है। इसके बावजूद अस्पतालों में मुफ्त में मिलनेवाली दवाइयों की कमी के चलते मरीजों को आखिरकार बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। व्यवस्था के टेक्नॉलजी से न जुड़े होने के चलते इनकी आपूर्ति का कोई ठोस रिकॉर्ड भी नहीं है। यानी गरीब रोगियों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है। दवाइयां कहां जाती हैं? किसको जाती? इस गड़बड़ी का कारण क्या है? इस संदर्भ में जांच कमिटी ने रिपोर्ट के साथ व्यवस्था सुधारने के लिए कई सुझाव भी दिए हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने मनपा अस्पतालों में दी जानेवाली सभी दवाओं पर बारकोड लगाने का पैâसला लिया है। मनपा स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बारकोड सिस्टम से न केवल स्टॉक पर नजर रखी जा सकेगी, बल्कि यह भी पता किया जा सकेगा कि दवाएं अस्पताल के बाहर तो नहीं जा रही हैं?



Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement