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पंजाब के युवक नशाखोरी के बाद अब एड्स जैसे घातक रोग की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं. इसकी वजह यौन संबंध नहीं बल्कि ड्रग्स को लेने का तरीका है. राज्य सरकार के होश उस वक्त उड़ गए, जब संगरूर जिले के एक ही गांव के 16 युवकों में एड्स और एचआईवी पॉजिटिव पाया गया. इस खुलासे ने राज्य में नशा विरोधी सरकारी अभियान पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. एक साथ एड्स के इतने मामले अचानक तब सामने आए, जब बडरूखां गांव के एक 17 वर्षीय युवक के परिजनों ने अस्पताल में जाकर उसके खून की जांच करवाई. जब मेडिकल रिपोर्ट सामने आई तो परिवार सकते में आ गया.  युवक  एड्स से ग्रस्त था. एड्स ग्रस्त युवक ने परिवार को बताया कि वह और उसके लगभग 20 साथी एक ही सुई का इस्तेमाल करके ड्रग्स अपने शरीर में पहुंचा रहे थे. उधर, जब गांव में मौजूद पीड़ित युवकों के खून के नमूने लिए गए तो उनमें से आठ युवक एड्स से ग्रस्त पाए गए. खबर फैलने के बाद एड्स ग्रस्त युवकों के परिजन और प्रशासन मामले को दबाने में जुट गए. अब बाकी बचे 8 लोगों की मेडिकल रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई. गांव वालों और एड्स ग्रस्त पीड़ित और उनके परिवार वालों के मुताबिक जिले में संक्रमित सुइयों के जरिए फैले एड्स के रोगियों की संख्या कई गुना ज्यादा हो सकती है. इस खुलासे ने राज्य सरकार की नींद उड़ा दी. अब नशाखोरी को रोकने में नाकाम रहे सूबे के आला अधिकारी इस मामले को दबाने में लगे हुए हैं. आनन फानन में पुलिस ने जहां एक ही दिन में 17 लोगों के खिलाफ ड्रग्स पेडलिंग के मामले दर्ज किए, वहीं कुछ युवकों को नशा निवारण केंद्रों में भी पहुंचाया गया. अफसर हरकत में आ गए. सुनाम के एसडीएम और डीएसपी गांव बडरूखां के सरकारी स्कूल के छात्रों को नशे से होने वाली हानियों के बारे में सचेत करते दिखाई दिए. लेकिन अफसोस प्रशासन की आंखें गांव के युवकों में HIV पॉजिटिव पाए जाने के बाद ही खुली हैं. गांव में एड्स के संक्रमण के बाद एक तरफ जहां लोगों में पुलिस और प्रशासन के खिलाफ गुस्सा है, वहीं पछतावा भी क्योंकि यह गांव सिख साम्राज्य के संस्थापक महाराजा रणजीत सिंह का नौनिहाल भी है और उनका जन्म इसी गांव में हुआ था. आज तक द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया है कि गांव के कई स्थानों पर इस्तेमाल की गई सुईयां नशीली दवाओं और वाइलस बिखरे पड़े हैं. गांव के युवक इन्हीं इस्तेमाल की गई चीजों का इस्तेमाल दोबारा करके या साझा करके नशा अपने शरीर में पहुंचा रहे थे. जाहिर है राज्य की कांग्रेस सरकार अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान नशे की आपूर्ति और इस्तेमाल पर रोक लगाने में नाकाम रही है. मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कसम खाई थी कि वह 4 हफ्तों हफ्तों के भीतर नशा खत्म कर देंगे. नशा खत्म करना तो दूर उसका इस्तेमाल और ज्यादा बढ़ गया लगता है. इस मामले के सामने आने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्य में दर्जनों युवक नशे की लत के कारण एडस से ग्रस्त हो सकते हैं. नाको की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में पिछले 11 सालों में एड्स 6081 से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है. साल 2017 में राज्य में एड्स के मरीजों की संख्या में 2 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है और 406 नए मामले सामने आए हैं. पंजाब सरकार के समक्ष एक और जहां राज्य में बढ़ रहे नारको टेरोरिज्म को रोकने की चुनौती है वही अब एड्स जैसी लाइलाज बीमारी की दूसरी चुनौती भी मुंह बाए खड़ी है.


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