केरल में बाढ़ के हालात, डरे हैं लोग और प्रशासन
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। केरल में बारिश की वजह से आई बाढ़ ने एक बार फिर से लोगों को दहशत में ला दिया है। यह दहशत 2018 की तरह होने वाले हालातों की वजह से है। जुलाई-अगस्त 2018 में आई बाढ़ से 483 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 140 लापता हो गए थे। 2018 की बाढ़ से राज्य को 400 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। इस बाढ़ की वजह से राज्य का पर्यटन बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। बाढ़ के बाद राज्य का पर्यटन कारोबार पटरी पर वापसी की कोशिश में लगा था कि इस बार फिर से राज्य के कुछ जिले बारिश और बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। वर्तमान में जो हालात बने हैं उसकी बदौलत केरल में 1.25 लाख लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। केरल के हालात कितने गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां पर कोच्चि एयरपोर्ट भी इसकी चपेट में है।
राज्य के वर्तमान हालात
केरल में बाढ़ और बारिश की सबसे अधिक मार वायनाड और कोझिकोड पर पड़ी है। यहां करीब 25-25 हजार लोग बेघर हुए हैं। वायनाड में बाढ़ में फंसे एक नवजात बच्चे को सेना के जवानों ने सुरक्षित निकाला है। राज्य में इसकी वजह से अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है। आठ जिलों में आठ अगस्त से भूस्खलन की 80 घटनाएं हो चुकी हैं। कुछ लोगों के अब भी मलबे में दबे होने की आशंका है।
सबसे प्रभावित जिलों में एक वायनाड में बाणासुरसागर बांध के चार दरवाजों में से एक को अतिरिक्त पानी को छोड़ने के लिए तीन बजे खोल दिया गया। केरल की कई ट्रेनें रद कर दी गई हैं। कोच्चि एयरपोर्ट के एक अधिकारी के अनुसार उड़ान संचालन रविवार पूर्वाह्न् तक बहाल हो सकेगा। वायनाड और कोझिकोड के अलावा एर्नाकुलम और कन्नूर में भी हालात गंभीर हैं। मौसम विभाग यहां पर ने भारी वर्षा का अलर्ट भी जारी किया है।
सुरक्षित ठिकानों पर दस लाख लोगों को पहुंचाया गया
2018 की ही बात करें तो उस वक्त करीब दस लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। इसमें भारतीय वायुसेना, एनडीआरएफ, सेना और नौसेना ने भी भूमिका निभाई थी। राज्य के 14 जिले बारिश और बाढ़ की वजह से उस वक्त सबसे अधिक प्रभावित थे। भारत सरकार ने 2018 में आई बाढ़ को तीसरे चरण की आपदा में रखा था। 1924 के बाद पहली बार राज्य ने इस तरह की आपदा को करीब से देखा था। राज्य के 45 बांध में से 35 के दरवाजे अत्यधिक पानी की वजह से खोल दिए गए थे।