महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी राजग में भाजपा और शिवसेना के बीच आ रही असहमति की आवाजों के बीच विपक्षी एकता भी दरकती दिखने लगी है। छोटे दलों और स्थानीय संगठनों को कांग्रेस-एनसीपी की तरफ से दिया गया सीट बंटवारे का फॉर्मूला नहीं भा रहा है, जिसमें उन्हें 38 सीट देने का प्रस्ताव रखा गया है। इन दलों ने कांग्रेस और एनसीपी को अपनी 125-125 सीटों में से कम से कम 12 सीट और छोड़ने की मांग की है।
राजू शेट्टी के स्वाभिमानी शेतकारी संगठन, पीडब्ल्यूपी, पीआरपी और क्षेत्रीय कामगार दल ने स्पष्टतौर पर कहा है कि 50 सीट से कम पर उन्हें विपक्षी गठबंधन मंजूर नहीं है। ऐसे में अतिरिक्त सीटें कौन छोड़ेगा और कौन सी सीट छोड़ी जाएगी, ये सवाल कांग्रेस और एनसीपी के लिए मुसीबत बन गया है। इस कारण गठबंधन की बातचीत अभी तक आखिरी दौर में नहीं पहुंच सकी है।

सोनिया गांधी के साथ हुई कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के नेताओं की बैठक में तय हुआ है कि छोटे दलों का रवैया अड़ियल रहने पर सिर्फ एनसीपी के साथ गठबंधन में आगे बढ़ेगी। ऐसी स्थिति में कांग्रेस 125 के बजाय 150 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जबकि एनसीपी को शेष 138 सीटों पर लड़ने का मौका दिया जाएगा। राज्य के प्रभारी महासचिव मल्लिकार्जुन खरगे ने भी साफ कहा है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस 150 सीटों पर लड़ेगी। खरगे के इस बयान से भी छोटे दलों के साथ गठबंधन की कोशिशें परवान नहीं चढ़ने का इशारा मिल रहा है।
117 उम्मीदवार तय कर चुकी है कांग्रेस
कांग्रेस ने 150 सीटों पर लड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी है। अभी तक दो बार उम्मीदवारों के चयन की कवायद हो चुकी है, जिनमें एक बार 68 और दूसरी बार 49 उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए गए हैं। इनके नाम नवरात्र में 1 या 2 अक्तूबर को घोषित किए जाएंगे।


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