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मुंबई : मुंबई के आरे कॉलोनी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पेड़ों की कटाई रोके जाने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद आरे जंगल में कटे हुए पेड़ों के अवशेष को हटाने को लेकर है। एक ओर प्रदेश सरकार साइट से कटे हुए पेड़ों और उनके ठूंठ हटाने की तैयारी कर रही है, वहीं वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध करते हुए इसे कोर्ट की अवमानना का मामला बताया है।

बता दें कि शुक्रवार रात प्रदेश सरकार ने आरे जंगल में पेड़ों की कटाई शुरू की थी, जिसका कई सामाजिक संस्थाओं समेत तमाम बड़ी हस्तियों ने विरोध किया था। इसे लेकर गिरफ्तारियां भी हुई थीं और विरोध प्रदर्शन को देखते हुए कॉलोनी में धारा 144 लगा दी गई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए जंगल में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था और आगे से एक भी पेड़ न काटने का फैसला सुनाया था।

इसके बाद साइट से पेड़ों के अवशेषों को हटाने को लेकर प्रशासन और ऐक्टिविस्ट आमने-सामने आ गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में ऐक्टिविस्ट जोरू भथेना का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि पेड़ों से जुड़े सभी पहलुओं के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है और इसमें उनके स्टंप्स और ट्रंक्स को हटाया जाना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि मामले को दो हफ्ते बाद सूचीबद्ध किया गया है इसलिए पेड़ों और उनके स्टंप्स को लेकर कोई जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है।

वहीं, प्रदेश सरकार के अधिकारी का कहना है कि चूंकि पेड़ पहले ही काटे जा चुके हैं इसलिए उनके स्टंप्स (ठूंठ) को हटाने में कुछ भी गलत नहीं है। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) के प्रवक्ता ने बताया कि कारशेड स्थल पर काम जारी रहेगा लेकिन पेड़ नहीं काटे जाएंगे। उन्होंने कहा कि साइट पर गिरे हुए पेड़ों और उनके स्टंप्स को हटाने का भी काम भी जल्दी शुरू किया जाएगा।

प्रदेश सरकार का पक्ष रखने वाले वकील निशांत काटनेशवारकर ने कहा कि प्रदेश और नागरिक प्राधिकरणों की ओर से अब कोई पेड़ नहीं काटे जाएंगे लेकिन कट चुके पेड़ों के तने और उनके ठूंठ को साइट से हटाया जाएगा। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफाडे ने कहा कि जो पेड़ अभी पूरी तरह अपनी जड़ों तक काटे नहीं गए हैं वे जीवित पेड़ हैं और उन्हें हटाना कोर्ट की अवमानना का मामला है।


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