मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तारी से तत्काल संरक्षण प्रदान करने से गुरुवार को इनकार कर दिया। गौतम नवलखा ने अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है। अदालत ने कहा कि वह नवलखा को गिरफ्तारी से संरक्षण के जरिए अंतरिम राहत देने के मुद्दे पर शुक्रवार को विचार करेगी। न्यायमूर्ति पीडी नाइक ने 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में और कथित माओवादी संपर्क के मामले में अग्रिम जमानत की नवलखा की अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई का फैसला किया। नवलखा को पिछले साल अगस्त से गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया गया था, जब उन्होंने हाई कोर्ट से पुणे पुलिस द्वारा अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की थी। हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने इस साल (2019) सितंबर में मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद नवलखा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। शीर्ष अदालत ने 12 नवंबर तक अंतरिम संरक्षण प्रदान करते हुए नवलखा को निर्देश दिया था कि गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए पुणे में संबंधित सत्र अदालत में प्रार्थना करें।

पुणे सत्र अदालत ने 12 नवंबर को नवलखा की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था और शीर्ष अदालत द्वारा उन्हें दिए गए संरक्षण को भी बढ़ाने से मना कर दिया। नवलखा ने तब 13 नवंबर को हाई कोर्ट में गुहार लगाई। उनके वकील युग चौधरी ने गुरुवार को न्यायमूर्ति नाइक से कहा कि नवलखा को पिछले साल से गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया गया था। यदि उनकी अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई होने तक इसे बढ़ा दिया जाता है तो जांच को कोई नुकसान नहीं होगा। चौधरी ने कहा, ‘मामले में सह-आरोपी आनंद तेलतुंबडे ने भी हाई कोर्ट में गिरफ्तारी पूर्व जमानत दाखिल की है और गिरफ्तारी से संरक्षण दिया गया है। उन दोनों के मामले समान हैं।’ हालांकि, अतिरिक्त सरकारी अभियोजक अरुणा कामत पई ने इसका विरोध किया और कहा कि तेलतुंबडे को दी गई राहत को पुणे की अदालत ने बढ़ाया था। पई ने कहा, ‘इस मामले में सत्र अदालत ने नवलखा को राहत देने से इनकार कर दिया।


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