मुंबई : राज्य में शिवसेना का मुख्यमंत्री बनते ही महापौर को भी उसका अधिकार मिले, इसके लिए मुंबई महानगर नगरपालिका की महापौर किशोरी पेडणेकर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से  मिलकर मांग की है। महापौर किशोरी पेडणेकर ने महापौर बनने के बाद पहली बार मनपा के पत्रकार कक्ष में आकर पत्रकारों से वार्तालाप की। इस दौरान उन्होंने दबी जुबान में  दोबारा महापौर परिषद शुरू करने के विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अभी महापौर को कोई अधिकार नहीं है, जिसके चलते मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलकर महापौर को  अधिकार देने की गुहार लगाएंगे। उल्लेखनीय है कि 1998-99 में मुंबई में महापौर परिषद लागू की गई थी, उस समय शिवसेना के मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने महापौर को अधिकार दिए थे। लेकिन शिवसेना के ही  मुख्यमंत्री नारायण राणे के मुख्यमंत्री बनते ही महापौर परिषद बंद कर दी गई, जिसका मुख्य कारण था कि उसी दौरान मुंबई महानगर पालिका 642 करोड़ के घाटे में चली गई थी।  महापौर किशोरी पेडणेकर फिर एक बार महापौर परिषद शुरू करने के लिए राय रख रही हैं। इतना ही नहीं वे मुख्यमंत्री से मिलकर महापौर को अधिकार देने की गुहार लगाएंगी।

परिवार के लिए नहीं करेंगी गाड़ी का उपयोग महापौर किशोरी पेडणेकर ने कहा कि महापौर के अलावा वह परिवार को मिलने वाली गाड़ी नहीं लेंगी। उस गाड़ी पर महानगर पालिका  जितना पैसा खर्च कर रही थी, वह पैसा बचेगा और उस पैसे का महापौर निधि में उपयोग किया जाएगा। साथ ही वह महापौर निधि में सहायता देने वालों को 100 प्रतिशत टैक्स में  छूट देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से मांग भी करेंगी। महापौर किशोरी पेडणेकर ने कहा कि गरीब मरीजों को महापौर निधि से जितनी अधिक सहायता करनी चाहिए उतनी  नहीं हो पाती है। यह सहायता मात्र 25 हजार तक ही हो पाती है। जिसका मुख्य कारण है कि महापौर निधि में जो लोग सहायता राशि देते है, उन्हें टैक्स में 100 प्रतिशत छूट के  बजाए मात्र 50 प्रतिशत ही छूट मिलती है, जिससे महापौर निधि में लोग सहायता नहीं करते। महापौर ने कहा कि वह टैक्स में 100 प्रतिशत छूट मिलने के लिए केंद्र और राज्य  सरकार से गुहार लगाएंगी। मुख्यमंत्री सहायता केंद्र में सहायता करने वालों को 100 प्रतिशत छूट मिलती है, जबकि मुख्यमंत्री सहायता निधि में 100 प्रतिशत छूट मिलती है।


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