मुंबई : घर से दफ्तर और फिर घर तक टिफिन पहुंचाने वाले मुंबई के डब्बावालों को आशियाने की दरकार है। इसके लिए वे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से वर्षों से लंबित उनके घरों की फाइल में तेजी लाने और उन्हें सरकारी योजनाओं के तहत घर मुहैया कराने की गुहार लगाए हैं।

मुंबई डब्बावाला असोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष तलेकर के मुताबिक, 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने डब्बावालों के घर के मुद्दे को सुलझाने के लिए एक बैठक आयोजित की थी। इसमें संस्था के सदस्यों से कहा गया था कि वे घर बनाने के लिए मुंबई में उपलब्ध भूखंड को लेकर एक रिपोर्ट जमा करें। इस पर संस्था की तरफ से तुरंत रिपोर्ट किया गया, लेकिन 15 साल बीत जाने के बावजूद उस रिपोर्ट पर कुछ नहीं हुआ। अब राज्य में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बने हैं। उनसे डब्बावालों को बहुत ही उम्मीदें हैं। तलेकर ने कहा, 'उद्धव ने एक रैली में जाहिर तौर पर कहा था कि अगर राज्य में उनकी सरकार आई, तो वे डब्बावालों को घर जरूर उपलब्ध कराएंगे। अब वह खुद मुख्यमंत्री हैं, इसलिए उम्मीद है कि इस सरकार के कार्यकाल में डब्बावालों को घर मिल जाएगा।'

डब्बावालों के प्रतिनिधियों के मुताबिक, शहर में संस्था के लगभग 5 हजार सदस्य हैं, जो लोकल ट्रेन में सफर करके मुंबईकरों के घर से ऑफिसों तक डब्बा पहुंचाते हैं, जबकि अन्य साइकल से टिफिन पहुंचाने का काम करते हैं। उनकी वजह से शहर में हर दिन लगभग 2 लाख लोगों तक भोजन पहुंचता है। दूसरों को उनके घर का खाना पहुंचाने वालों के पास ही खुद का घर नहीं है। इसीलिए उनकी मांग है कि जिस तरह से मिल श्रमिक और अन्य श्रमिकों के लिए घर का प्रावधान किया गया है, उसी तरह से डब्बावालों के लिए घर उपलब्ध कराने को लेकर निर्णय लिया जाए।



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