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मुंबई : एक ओर जहां नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूर्वोत्तर में हिंसक प्रदर्शन जारी है, वहीं कुछ राज्य सरकारों ने इसे अपने सूबे में लागू करने से ही इनकार किया है। पश्चिम बंगाल, केरल और पंजाब के बाद अब महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश सरकार ने संकेत दिया है कि वह इस कानून को लागू नहीं करने का फैसला कर सकते हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष और उद्धव सरकार में मंत्री बाला साहेब थोराट के साथ एमपी के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस बात के संकेत दिए हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक को संसद में पारित करके और इसके कानून बना कर केंद्र सरकार हमें इसे मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है। उधर, छत्तीसगढ़ ने भी अब इसे नहीं लागू करने का संकेत दिया है। ऐसे में अब कुल 6 राज्य ऐसे हो गए हैं, जो इस कानून के सीधे विरोध में दिख रहे हैं।
कमलनाथ ने कहा, कांग्रेस पार्टी जो भी स्टैंड नागरिकता कानून पर लेगी, हमलोग उसका पालन करेंगे। हमलोग उस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होना चाहते, जिसका बीज भेदभाव हो। वहीं बाला साहेब थोराट ने कहा, 'हम पार्टी नेतृत्व की नीति का पालन करेंगे।' गौरतलब है कि कांग्रेस ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया है। उधर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहा है कि इस कानून पर पार्टी नेतृत्व का निर्णय ही उनका भी निर्णय है। इससे पहले पंजाब के सीएम कैप्टन सिंह के ऑफिस की ओर से गुरुवार को यह ऐलान किया गया कि राज्य में इसे लागू नहीं किया जाएगा। वहीं, केरल के सीएम पिनरई विजयन ने भी कहा है कि उन्हें भी यह स्वीकार नहीं है। विजयन ने इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार भारत को धार्मिक आधारों पर बांटने की कोशिश कर रही है। उधर, पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार में मंत्री डेरेक ओ ब्रायन ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी और कैब दोनों लागू नहीं किए जाएंगे। ओ ब्रायन ने कहा कि सीएम ममता पहले ही यह बात कह चुकी हैं।



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