मुंबई : मुंबईकरों का हर दिन औसतन 85 मिनट का समय ट्रैफिक में जाता है और शाम के वक्त 90% से ज्यादा लोगों पर इसका असर रहता है। यह जानकारी एक सर्वे में सामने आई है। इसमें कार, मोटरसाइकल, ऑफिस कार, टैक्सी, कैब इस्तेमाल करने वाले लोगों को शामिल किया गया था। सर्वे में 75% लोगों ने प्राइवेट गाड़ियों पर फी लगाने का समर्थन किया। जो लोग यह फी नहीं देना चाहते उनमें से 27 कार ड्राइवरों और 18% मोटरसाइकल ड्राइवरों ने हाई-क्वॉलिटी पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर शिफ्ट होने की इच्छा जताई। सर्वे में 42% लोगों ने कहा कि ट्रैफिक जाम के कारण उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो रही हैं। 46% ने कहा कि उनका निजी समय खराब होता है। 52% लोगों का लगता है कि इससे उनके काम पर असर पड़ता है। सर्वे में 65% लोग काम पर जाने वाले होते हैं और औसतन एक व्यक्ति 20 किमी की दूरी हर दिन तय करता है। यह स्टडी सिंबायसिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के साथ मिलकर आईटीडीपी इंडिया ने की थी।

मुंबई में प्राइवेट गाड़ियां और टैक्सियां सिर्फ 19% ट्रिप्स के लिए इस्तेमाल होती हैं लेकिन सड़क पर 82% जगह घेरती हैं। वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे और एसवी रोड में सबसे ज्यादा ट्रैफिक जाम लगता है। सर्वे में यह बात भी सामने आई कि भीड़-भाड़ वाले समय 55% गाड़ियां 20 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती हैं और कई इलाकों में तो 6 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से भी चलती हैं। फिलहाल प्रस्तावित 192 किमी मेट्रो कॉरिडोर के अलावा 1100 गलियों और 6000 बसों की जरूरत है ताकि इस ट्रैवल को आसान किया जा सके। बता दें कि मुंबई देश में सबसे ज्यादा कार डेंसिटी वाला शहर है। यहां हर किमी में 530 गाड़ियां हैं जबकि दिल्ली में सिर्फ 108। एक्सपर्ट्स का कहना है कि लंदन, सिंगापुर और स्टॉकहोम जैसे शहरों में ट्रैफिक पर फी लगाने से लोग पैदल चलने, साइकल से चलने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित हुए हैं।


 

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