निर्भया गैंगरेप केस के दोषी मुकेश सिंह का जेल में यौन उत्पीड़न हुआ था. मुकेश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील रख रही वकील अंजना प्रकाश ने कहा कि मुकेश का जेल में यौन उत्पीड़न हुआ था. उस समय जेल अधिकारी वहां मौजूद थे, लेकिन उन्होंने मदद नहीं की. वकील अंजना प्रकाश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान कहा गया कि मुकेश को उस समय हॉस्पिटल नहीं ले जाया गया. बाद में उसे दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल ले जाया गया. मुकेश की वकील ने आगे कहा वो मेडिकल रिपोर्ट कहां है? फिलहाल इस मामले में कोर्ट कल अपना फैसला सुना सकता है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से दया याचिका खारिज करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मुकेश ने डेथ वारंट को निरस्त करने की मांग की है और इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच कर रही है. इस बेंच में जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं.
इसके साथ ही मुकेश की ओर से उनकी वकील ने कहा कि उसके भाई राम सिंह को मार दिया गया. जेल ऑफिसर कह रहे हैं कि उसने फांसी लगा ली थी, जबकि उसकी एक हाथ खराब था. वह एक हाथ से 94 फीसदी लाचार था. वो फांसी लगाकर खुदकुशी कैसे कर सकता है. मुकेश ने कहा, 'मैं इस बाबत एफआईआर दर्ज कराना चाहता था.' मुकेश की वकील ने तिहाड़ जेल प्रशासन पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि मुकेश को क्यूरेटिव याचिका खारिज होने से पहले ही एकांत कारावास में रख दिया गया था. सेल में उसे अकेला रखा जाता था. मुकेश ने कोर्ट में पेश अपने हलफनामे में यह भी दावा किया कि उसने रेप नहीं किया था, हालांकि वह घटना के दौरान घटनास्थल पर मौजूद था.
सुनवाई के दौरान मुकेश की ओर से पेश वकील अंजना प्रकाश ने कहा कि 14 जनवरी को दया याचिका दायर की गई और 17 जनवरी को फैसला आ गया. संविधान के मुताबिक जीने का अधिकार और आजादी सबसे महत्वपूर्ण है. उसने कहा है कि राष्ट्रपति कोविंद ने उसकी दया याचिका का निपटारा करने में बेवजह जल्दी दिखाई. राष्ट्रपति के फैसले की भी न्यायिक समीक्षा हो सकती है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के सुनील बत्रा केस में फैसले के खिलाफ है. मुकेश की दया याचिका दायर होते ही 24 घंटे में बिजली की तेजी से याचिका आगे बढ़ने लगी. मीडिया में चंद घंटे में ही खबर आने लगी कि दिल्ली सरकार ने उसे खारिज करने की सिफारिश के साथ LG को भेज दिया. फिर LG औए गृह मंत्रालय ने भी इस मामले में काफी तेजी दिखाई. वकील ने कहा कि कोर्ट इस बात की जांच करा सकता है कि क्या सारे दस्तावेज राष्ट्रपति के सामने रखे गए हैं, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का भी हवाला दिया गया. हालांकि एसजी की ओर से कहा गया कि कोर्ट राष्ट्रपति द्वारा निर्णय लेने के तरीके पर कोई दिशा निर्देश नहीं दे सकता है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई शुरू करते हुए दोषी मुकेश की वकील से पूछा कि आपको बहस करने के लिए कितना समय चाहिए. इस पर वकील ने कहा 1 घंटा. कोर्ट ने इस पर ऐतराज जताया तो वकील ने कहा कि हम आधे घंटे में बहस पूरी कर लेंगे. मुकेश की वकील अंजना प्रकाश ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मुताबिक राष्ट्रपति को किसी दया याचिका पर विचार करते समय आपराधिक मामले के सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए. कोर्ट ने पहले के फैसले में यह भी कहा है कि ऐसे मामलों में सावधानीपूर्वक फैसला लेना चाहिए.' इस दलील के बाद मुकेश की वकील ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने जजमेंट को भी पढ़ा.

Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement