नागपुर : येस बैंक पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के बाद सभी व्यवहार को रोक दिया गया था, इस वजह से आरटीएम नागपुर विवि के जमा 191 करोड़ पर संकट के बादल मंडराने लगे थे. लेकिन अब स्थिति सामान्य होने के बाद और वित्त अधिकारी द्वारा फालोअप किए जाने के बाद बैंक द्वारा ब्याज सहित 201 करोड़ वापस करने की जानकारी मिली है.

एक निजी बैंक में विवि द्वारा करोड़ों रुपये जमा करने का मामला विवि की सीनेट में छाया रहा. उस वक्त सदस्यों ने बैंक में धन जमा कराए जाने का विरोध किया था. प्रतिबंध के दौरान बैंक से 50,000 रुपये निकालने की ही छूट दी गई थी. दरअसल विवि ने आनलाइन सेवा के लिए येस बैंक के साथ करार किया था. इसी करार के तहत बैंक में करोड़ों रुपये जमा किये गए थे. सीनेट में सदस्यों द्वारा हंगामा किये जाने के बाद उपकुलपति ने सीनेट सदस्य और चार्टर्ड अकाउंटेंट जगदीश जोशी के मार्गदर्शन में एक समिति बनाई थी. इसके बाद वित्त व लेखा अधिकारी राजू हिवसे ने येस बैंक में 191 करोड़ रुपये जमा होने की जानकारी दी थी. साथ ही रकम वापस मांगने के लिए रिजर्व बैंक से पत्र व्यवहार करने की जानकारी दी थी. 

इसके बाद विवि ने येस बैंक और रिजर्व बैंक से पत्रव्यवहार और फालोअप किया. पश्चात सरकार ने 18 मार्च को बैंक पर लगाए सभी प्रतिबंध हटा दिए और 19 मार्च को बैंक ने 191 करोड़ की एफडी पर 10 करोड़ ब्याज सहित रकम विवि को दे दी. कुल रकम पर ब्याज सहित विवि को 201 करोड़ रुपये मिले हैं. अब उक्त रकम को किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा किया जाएगा. 


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