मुंबई : वैश्विक महामारी की वजह से मुंबई सहित पूरे देश में लॉकडाउन है. जिससे उद्योग, व्यवसाय एवं निर्माण कार्य पूरी तरह ठप है. जिसमें ज्यादातर परप्रांतीय मजदूर व अन्य कर्मचारी काम कर रहे थे. मुंबई सहित राज्य के पुणे सहित कई अन्य शहरों में लॉकडाउन 31 जून तक बढ़ाया जा सकता है!. जिसकी वजह से महाराष्ट्र से न केवल मजदूरों बल्कि अन्य वर्ग के लोगों का पलायन तेजी से हो रहा है.  उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक अब तक 30 लाख प्रवासी मजदूर व अन्य लोग अपने अपने प्रदेशों के मूल गांव चले गए हैं. आने वाले दिनों में 20 लाख से अधिक लोग पलायन कर सकते हैं.जिसका असर राज्य के उद्योग व्यवसाय पर पड़ेगा.लॉकडाउन समाप्त होने के बाद मुंबई शहर एवं उपनगरों में टैक्सी व ऑटो रिक्शा की कमी भी देखने को मिल सकती है.

देश के तमाम हिस्सों से लोग बड़ी संख्या में काम करने के लिए महाराष्ट्र के विभिन्न ओद्योगिक क्षेत्रों विशेषकर मुंबई में आते हैं. वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, मुंबई में 1.84 करोड़ की आबादी थी जिसमें 47 लाख प्रवासी मजदूर थे. इनमें से सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के 18 लाख, गुजरात के 6.3 लाख, कर्नाटक के 3.8 लाख, राजस्थान के 3.3 लाख, बिहार के 2.2 लाख, बंगाल के 1.98, तमिलनाडु के 1.7 लाख मजदूर मुंबई में थे. वहीं, पूरे महाराष्ट्र की बात करें तो राज्य की आबादी 11.23 करोड़ है. 2011 जनगणना के मुताबिक, उस वक्त महाराष्ट्र में दूसरे राज्यों के 90 लाख प्रवासी मजदूर थे, इनमें से सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश  के 27 लाख, कर्नाटक के 15 लाख, बिहार के 9.8 लाख मजदूर थे. लॉकडाउन में सभी उद्योग धंधे बंद हो चुके हैं. रोजगार भी छिन गया. ऐसे में मजदूरों को अपना पेट पालना भी मुश्किल पड़ रहा है. इसलिए जल्द से जल्द मजदूर अपने घर जाना चाहते हैं. 

सरकार की मानें तो मुंबई सहित विभिन्न शहरों से लगभग 700 श्रमिक ट्रेनें विभिन्न राज्यों के लिए रवाना हुई हैं. जिसके जरिए 10 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके गांव भेजा गया है. दूसरे चरण का लॉकडाउन शुरु होने के बाद से पलायन में तेजी आयी. दूसरे एवं तीसरे चरण के लॉकडाउन के बीच लगभग साढ़े सात लाख मजदूर एवं अन्य प्रवासी निजी वाहनों, ट्रक, टैंपो, बाइक, साइकिल एवं पैदल ही अपने गांव की राह पकड़ लिए.जो श्रमिक ट्रेन शुरु होने तक अपने मुलुक पहुंच गए.

मुंबई शहर व उपनगरों से हजारों की संख्या में ऑटो रिक्शा एवं टैक्सी चालक अपने वाहनों के साथ अपने गांव चले गए हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के शहरों एवं ग्रामीण इलाकों में मुंबई की काली पीली टैक्सी व ऑटो रिक्शा दिखाई दे रहे हैं. केवल 280 टैक्सी चालकों को छोड़ दिया जाय तो किसी ने भी दूसरे राज्य में जाने के लिए परमिट नहीं लिया है. टैक्सी एवं ऑटो रिक्शा से जुड़े संगठनों की मानें तो लगभग 8 हजार टैक्सी चालक एवं  35 हजार से अधिक ऑटो रिक्शा चालकों ने अपने वाहनों में परिवार के लोगों को बिठा कर अपने गांव पलायन किया है.  टैक्सी को मुंबई से बाहर दूसरे राज्यों में ले जाने के लिए परमिट लेनी होती है जो आरटीओ से ऑनलाइन ली जा सकती है. मुंबई के ताडदेव, वडाला एवं अंधेरी आरटीओ की तरफ से केवल 280 ड्राइवरों को वाहन परमिट दी गई है. 

मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने मुंबई से 4.06 लाख मजदूरों के दूसरे राज्यों में जाने की बात कही है.चहल ने कहा है कि 70 हजार मजदूर केवल धारावी से बाहर गए हैं. मुंबई से लगभग 8 हजार ड्राइवर काली-पीली टैक्सी व लगभग 14 हजार चालक ऑटो रिक्शा ले कर अपने राज्यों में गए हैं,जबकि आस पास के उप नगरों से 20 हजार से अधिक ऑटो ड्राइवर अपने वाहनों के साथ गांव चले गए हैं.जिसमें से कुछ लॉकडाउन हटने के तुरंत बाद वापस आ जाएंगे. मुंबई ही नहीं कल्याण, डोंबिवली, वसई, विरार आदि इलाकों से भी लोग अपने ऑटो रिक्शा के साथ पलायन किये हैं. सांताक्रूज पश्चिम के  गजधर बांध परिसर से लगभग 1,200 रिक्शा ड्राइवर अपने रिक्शा ले कर उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में गए हैं. पूरी मुंबई में यह संख्या 32 हजार से अधिक है.   मुंबई शहर में लगभग 40 हजार टैक्सी एवं उप नगरों में एक लाख से अधिक ऑटो रिक्शा पंजीकृत हैं.  


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