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मुंबई : बांबे उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार को उस याचिका पर प्रतिक्रिया देने को कहा, जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान सैनिटरी नैपकिन को आवश्यक सामग्री की श्रेणी में रखने और गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। कानून की छात्रा निकिता गोरे और वैष्णवी घोलावे ने याचिका दायर कर इस बात पर चिंता व्यक्त की कि केंद्र और राज्य सरकार मासिक धर्म से संबंधित स्वच्छता प्रबंधन को प्रभावी रूप से लागू नहीं कर रही हैं, जिसके कारण महिलाओं और किशोर लड़कियो को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। याचिका में कहा गया कि लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों और गरीबों के अलावा बच्चों, किशोरों, युवतियों और महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके मुताबिक, '' जबकि केंद्र और राज्य सरकारें इन परेशान लोगों की जरूरी खाद्य आवश्यकताओं को लेकर मदद कर रही थीं लेकिन वे लड़कियों और महिलाओं के लिए मासिक धर्म से संबंधित स्वच्छता सामग्री जैसे सैनिटरी नैपकिन और अन्य चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने में विफल रहीं।'' मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश केके तातेड़ की खंडपीठ ने शुक्रवार को राज्य सरकार को इस याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया।


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