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मुंबई : दुनियाभर में कोरोना वायरस से लड़ने की दवा ईजाद करने की कोशिश की जा रही है लेकिन कोई यह दावे के साथ नहीं कह सकता कि दवा कब तक आएगी। ऐसे में कोरोना से बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र के डॉक्टरों ने कोरोना से जंग के हथियार में के रूप में प्लाज्मा थेरेपी को बड़े पैमाने पर आजमाने का रास्ता चुना है।
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग दुनिया भर में हल्के लक्षणों वाले रोगियों के इलाज के लिए किया जाता है। हालांकि, महाराष्ट्र पहला राज्य है जहां इस थेरेपी से हल्के और गंभीर रोगियों का इलाज किया जा रहा है। प्लाज्मा थेरेपी की तरफ सरकार और डॉक्टरों के बढ़ते रुझान की सबसे बड़ी वजह यह है कि प्रायोगिक तौर पर अप्रैल से जिन 10 मरीजों को प्लाजमा थेरेपी दी गई थी, उनमें से 9 मरीज ठीक हो गए हैं और 7 मरीजों को उनके घर भेजा जा चुका है।

क्या होता है प्लाज्मा
प्लाज्मा खून में मौजूद एक तरल घटक होता है। इंसान के शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं, सफेद रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स को अलग करने के बाद प्लाज्मा मिलता है। डॉक्टरों के मुताबिक कोविड केयर सेंटर (सीसीसी) से ठीक होकर जानेवाले मरीज ठीक होने के 10 दिन बाद और 28 दिन के भीतर प्लाज्मा दान कर सकता हे।

डॉक्टर रक्त से जो प्लाज्मा अलग करते हैं उसमें एंटीबॉडीज पाए जाते हैं। इन एंटीबॉडीज को दूसरे संक्रमित मरीजों में चढ़ाया जाता है जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और उनका शरीर कोरोना वायरस से ज्यादा मजबूती से लड़ पता है। हालांकि प्लाज्मा किस मरीज को देना है इसका फैसला पूरी तरह से डॉक्टरों पर निर्भर है। अगर प्लाज्मा चढ़ाने के बाद मरीज का शरीर पर्याप्त एंटीबॉडी बना लेता है तो कोरोना हार जाता है। कोरोना से ठीक होने के बाद भी एंटीबॉडी प्लाज्मा के साथ शरीर में रहती हैं, जिन्हें दान किया जा सकता है। प्लाज्मा डोनेशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक विशेष पोर्टल बनाया है। इस पर रजिस्ट्रेशन करके प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं।


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