मुंबई : मुंबई में कोलीवाड़ा का सीमांकन का काम पूरा हो गया है. कोलीवाड़ा की हद निश्चित कर बीएमसी ने संपूर्ण जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया गया है. रहिवासियों को 30 दिन के भीतर अपने सुझाव और आपत्ति दर्ज कराने का अवसर दिया गया है. कोलीवाड़ों को झोपड़पट्टी में शामिल किया जाने लगा था जिसके चलते कोलीवाड़ा के नागरिकों सीमांकन करने की मांग कर रहे थे. कोलीवाड़ा सीमांकन में खाली पड़े भूखंड को छोड़ दिए जाने से स्थानीय नागरिक भड़के हुए हैं. आरोप लगाया है कि इसके पीछे किसी बड़े बिल्र्डर की साजिश हो सकती है. 

मुंबई के विकास प्रारूप में मुंबई के गांवों का परसीमन किया गया था, लेकिन कोलीवाड़ा को परिसीमन से बाहर कर दिया गया था. मुंबई में कुल 125 गांव और 20 कोलीवाड़ा परिसर हैं. कोलीवाड़ा को झोपड़पट्टी में रूपांतर किया जाने की जानकारी सामने आने पर पूर्व राजस्व मंत्री चंद्रकांत दादा पाटिल के पास कोलीवाड़ा के रहिवासियों ने गुहार लगाई थी. कोलीवाड़ा के निवासियों का कहना है कि मुंबई के मूल निवासी कोली समाज के ही लोग हैं, उनको मुंबई से बाहर निकालने की साजिश रची जा रही है. नागरिकों का आरोप है कि मुंबई के सभी कोलीवाड़ा पर बिल्डरों की नजर है इसलिए कोलीवाड़ा का सीमांकन नही किया गया.  

राज्य सरकार के राजस्व विभाग ने अब कोलीवाड़ा का सीमांकन कर मनपा को सौप दिया है. जिसे बीएमसी प्रशासन ने अपनी वेबसाइट पर आम जनता के लिए उपलब्ध कराया है. रहिवासियो को किसी तरह के सुझाव और शिकायत करने के लिए 30 दिन की मोहलत दी गई है. लोगों के सुझाव और आपत्ति नहीं आने पर तीस दिन बाद कोलीवाड़ा के सीमाकंन को मान्य कर लिया जाएगा. कोलीवाड़ा रहिवासियों का आरोप है कि कोली समाज के लोगों को उनकी नाव खड़ी करने के लिए कोलीवाड़ा परिसर में खाली जगह उपलब्ध कराई गई थी. इस सीमांकन में खाली जमीनों को नहीं दिखाया गया है. खाली जगह कोलीवाड़ा के रहिवासियों के लिए नाव खड़ी करने के अलावा मछ्ली सुखाने के उपयोग में आती थी.  

कोली समाज के लोगों का व्यवसाय ही मछली पकड़ना और मछली का व्यवसाय करना है. मच्छीमार समाज के नेता राजहंस टपके ने कहा कि खाली जमीन हड़पने की साजिश रची गई है. वर्ली कोलीवाड़ा के शरद कोली ने कहा कि मच्छीमार समाज के लिए खाली जमीन का उपयोग सिर्फ मछली सुखाने के लिए ही नहीं होता है. मछली पकड़ने के लिए लगने वाली जाल बुनने मछली को समुद्र से लाने के बाद उसको अलग करने के लिए खाली जमीन की जरूरत पड़ती है. खाली जमीन के बिना उनका  व्यवसाय ही नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि यदि खाली जमीन पर सरकार निर्णय नहीं लेती है तो अपनी जमीन के लिए सरकार के खिलाफ  बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा. 


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