वाशिंगटन : अमेरिका ने चीन और रूस की चार कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। यह कार्रवाई ईरान के मिसाइल कार्यक्रम का समर्थन करने को लेकर की गई है। चारों कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का एलान करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने शुक्रवार को कहा कि ईरान का मिसाइल कार्यक्रम चिंता का विषय बना हुआ है। उनका देश परमाणु हथियारों से जुड़ी गतिविधियों को लेकर तेहरान के खिलाफ सख्त कदम उठाना जारी रखेगा।

पोंपियो ने कहा, 'परमाणु प्रसार को लेकर चिंता का बड़ा कारण बने ईरान के मिसाइल कार्यक्रम का समर्थन करने पर अमेरिका ने चीन और रूस की चार कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। ईरान को अपने परमाणु क्षमताओं में बढ़ोतरी करने से रोकने के लिए हम प्रतिबंध संबंधी अपने सभी उपायों का इस्तेमाल जारी रखेंगे।'

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, 'ईरान के मिसाइल विकास संबंधी प्रयासों को रोकने के लिए हम काम करते रहेंगे। चीनी और रूसी कंपनियों जैसे उन विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर प्रतिबंध का उपयोग करेंगे, जो ईरान को मिसाइल संबंधी सामग्री और प्रौद्योगिकी मुहैया कराते हैं।' अमेरिका ने जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं, उनमें चीन की चेंगदू बेस्ट न्यू मैटेरियल्स कंपनी लिमिटेड व जिबो एलिम ट्रेड कंपनी लिमिटेड और रूस में नील्को ग्रुप व सांटर्स होल्डिंग एंड ज्वाइंट स्टॉक कंपनी ऐलेकॉन हैं। 

इन कंपनियों पर ईरान के मिसाइल कार्यक्रम के लिए संवेदनशील प्रौद्योगिकी और साजो-सामान मुहैया कराने के आरोप लगाए गए हैं। प्रतिबंध के दायरे में आई इन कंपनियों के साथ अमेरिकी खरीद, सहयोग और निर्यात पर पाबंदी रहेगी। ये प्रतिबंध दो साल तक प्रभावी रहेंगे।

साल 2018 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने का एलान किया था। इसके साथ ही उस पर कई सख्त प्रतिबंध लगा दिए थे। ट्रंप ने यह कदम ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उठाया था। हालांकि तेहरान यह दलील देता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है।


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