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पिछले साल जून में गलवान घाटी में दुस्साहस करने वाले कई चीनी सैनिक भारतीय वीरों के साथ संघर्ष में मारे गए, लेकिन ड्रैगन ने उनका सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार तक नहीं किया, जिसको लेकर वहां के सैनिकों के परिवारवालों ने दबी जुबान में नाराजगी भी जाहिर की थी। ऐसे में चीन भारत में सैनिकों को मिलने वाले सम्मान को पचा नहीं पाता है। गणतंत्र दिवस पर गलवान घाटी के शहीदों को दिए गए वीरता पुरस्कारों से चीन चिढ़ गया है और उसने इसे तनाव बढ़ाने वाला कदम बता दिया है।

चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने गलवान घाटी में शहीद हुए 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू को दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान महावीर चक्र सहित दूसरे सैनिकों को वीर चक्र दिए जाने पर अपनी भड़ास निकाली है। ग्लोबल टाइम्स ने चीनी विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि नौवें राउंड की बातचीत में कुछ सकारात्मकता दिखी थी और चीन लगातार चीजों को शांत करने को लेकर गुडविल संदेश भेज रहा है, लेकिन भारत के उकसावे वाले कदमों से दुनिया और हमारे लोगों को संदेश जाएगा कि भारत सीमा विवाद का समाधान नहीं चाहता है। वह सीमा पर शांति और स्थिरता नहीं चाहता।

शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में सेंटर फॉर एशिया-पसिफिक के डायरेक्टर झाओ गानछेंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि महामारी, आर्थिक मंदी और किसानों के आंदोलन से घिरा भारत चीन विरोधी कदमों के जरिए लोगों का ध्यान भटकाना चाहता है। झाओ ने यह भी कहा कि सर्दी बीतने के बाद गतिरोध जारी रहेगा और चीन को सतर्क रहने की जररूरत है। चीन पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि असल में भारतीय सैनिकों के सम्मान से चीन इसलिए बेचैन हो जाता है क्योंकि इससे उसे अपने सैनिकों के विद्रोह की चिंता सताने लगती है। उसे लगता है कि भारत में सैनिकों का सम्मान देखकर उसके सैनिक भी अपना सम्मान और हक मांग सकते हैं। गलवान घाटी में पिछले साल मारे गए चीनी सैनिकों को चुपचाप दफना दिया गया। देश को उनका नाम तक नहीं बताया गया। 

पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। बड़ी संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए, लेकिन चीन ने अभी तक उनकी सही संख्या और उनके नामों का खुलासा नहीं किया है। भारत ने गणतंत्र दिवस से पहले सभी शहीद सैनिकों के नामों को नेशनल वॉर मेमोरियल में दर्ज किया है। 

पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सेना के हमले के खिलाफ अपने सैनिकों का नेतृत्व करने वाले कर्नल बी. संतोष बाबू को मरणोपरांत दूसरे सबसे बड़े सैन्य सम्मान महावीर चक्र से नवाजा गया है। सोमवार को की गई एक आधिकारिक घोषणा के अनुसार उन्हें यह पदक शत्रु की उपस्थिति में अदम्य साहस का परिचय देने के लिए प्रदान किया गया है।

गलवान घाटी में हुई झड़प में शहीद हुए चार अन्य सैनिकों- नायब सूबेदार नुदुराम सोरेन, हवलदार (गनर) के. पलानी, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह को वीर चक्र से सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना की तीन मीडियम रेजिमेंट के हवलदार तेजिंदर सिंह को भी वीर चक्र से नवाजा गया है। 16 बिहार रेजिमेंट के कर्नल बाबू ने गंभीर रूप से घायल होने और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आगे बढ़कर नेतृत्व किया और शत्रु का सामना किया। लद्दाख में भारतीय सेना ने 'गलवान के वीरों के लिए पहले ही एक स्मारक बनाया है। स्मारक पर ऑपरेशन 'स्नो लेपर्ड के उन पराक्रमी योद्धाओं का उल्लेख है जिन्होंने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर किया।


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