दक्षिणी अफ़्रीका: पानी में तैरती सैकड़ों लाशें. टूटकर बिखरे पेड़ों, बिजली के खंभों और तारों से अवरुद्ध सड़कें. जगह-जगह दरकती ज़मीन और तक़रीबन 177 किलोमीटर की रफ़्तार से कहर बरपाता तूफ़ान ईडाय. बुरी तरह ज़ख़्मी लोगों से भरे अस्पताल और किसी तरह जान बचाने की की कोशिश करते हज़ारों लोग.
पिछले कुछ दिनों से दक्षिणी अफ़्रीका के तीन देशों में ऐसे ही भयानक मंज़र देखने को मिल रहे हैं. ये तीन देश हैं- मोज़ांबिक, ज़िम्बॉब्वे और मलावी. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि तूफ़ान ईडाय शायद दक्षिण अफ़्रीकी इलाकों में आई अब तक की सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है. एक वक़्त पर तो मोज़ाम्बिक के तक़रीबन 70 लाख लोग साइक्लोन ईडाय के सीधे संपर्क में थे. अकेले मलावी में 900 से ज़्यादा लोग इस तूफ़ान की चपेट में आ चुके हैं.
संयुक्त राष्ट्र से मिली जानकारी के मुताबिक़ तूफ़ान की वजह से छह मीटर तक गहरी बाढ़ भी आई है और इससे एक बड़े हिस्से में भारी विनाश है.
 'उन्होंने कभी इतनी बड़ी तबाही नहीं देखी.' संयुक्त राष्ट्र के सहायता कर्मियों की आशंका है कि मोज़ाम्बिक का बूज़ी शहर पूरी तरह से डूब सकता है क्योंकि आने वाले कुछ घंटों में बाढ़ का पानी लगातार बढ़ेगा. तूफ़ान की वजह से ज़िम्बॉब्वे के पूर्वी हिस्से में भी भारी तबाही हुई है. वहीं, मलावी में लगभग 100 लोगों की मौत हो गई है.
उन्होंने कहा, "सारे स्कूल बर्बाद हो गए. बायरा का सेंट्रल हॉस्पिटल नष्ट हो गया है. आप जानते हैं कि मोज़ांबिक एक ग़रीब देश है. बायरा को एक-दो महीनों में वापस पहले जैसा नहीं बनाया जा सकता. हमें शहर को दोबारा खड़ा करने में महीने और साल लग जाएंगे. शहर पूरी तरह बर्बाद हो गया है. ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने पूरे शहर पर बम गिरा दिया हो."

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