मुंबई : महाराष्ट्र में कोरोना वायरस की तबाही बरकरार है। कोरोना की दूसरी लहर को लेकर गणितीय मॉडल पर किए गए एक विश्लेषण में दावा किया गया है कि मई के दूसरे हफ्ते में महाराष्ट्र में कोरोना अपने पीक पर होगा। इतना ही नहीं, स्टडी में यह दावा भी किया गया है कि सरकार के वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत अगर मुंबई में महीने भर में 15 से 20 लाख नए लोगों का वैक्सीनेशन किया जाए तो यहां कोरोना से मौत की दर बेहद कम हो सकती है और 1 जून से ही हालात में सुधार होने लगेगा।.

इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने भी कोरोना के तीसरे वेव से निपटने के लिए कमर कस ली है। सोमवार को आदित्य ठाकरे ने कहा कि उन्होंने अडिशनल म्युनिसिपल कमिश्नर एस जायसवाल से इस संबंध में मुलाकात की है और मुंबई में तीसरे वेव की तैयारियों को लेकर जायजा लिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना की अगली वेव की आशंका को देखते हुए मैंने पीडिएट्रिक कोविड केयर वार्ड बनाने का सुझाव दिया है।

ठाकरे ने कहा कि इसके साथ ही एक और पहलू पर ध्यान दिया जा रहा है। कोविड केयर वार्ड में जिन बच्चों को भर्ती किया जाएगा, उनके माता-पिता के लिए एक देखभाल केंद्र की भी व्यवस्था की जा रही है ताकि वे कोरोना से संक्रमित हुए बिना अपने बच्चों की देखभाल कर सकें।

प्रदेश में कोरोना के फैलाव को लेकर एक स्टडी भी सामने आई है। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रीसर्च (टीआईएफआर) के वैज्ञानिकों ने अपने रीसर्च पेपर में बताया है कि मई के पहले हफ्ते में महाराष्ट्र में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें होंगी। वैक्सीन के ट्रेंड का विश्लेषण करते हुए शोधकताअरं ने बताया कि मुंबई के इनोक्यूलेशन ड्राइव यानी कि एक महीने में 15-20 लाख नए लोगों के वैक्सीनेशन से यहां कोरोना के मामलों में अप्रत्याशित रूप से काबू पाया जा सकता है।

स्टडी में बताया गया कि अगर सरकार के वैक्सीनेशन प्रोग्राम में कोई अड़चन नहीं आती है और कोरोना के किसी नए वैरिएंट का रिस्क नहीं रहता है तो इस परिस्थिति में मुंबई में 1 जून से ही कोरोना के मामले इतने कम हो जाएंगे, जितने जनवरी-फरवरी 2021 में थे। इतना ही नहीं, मुंबई में 1 जुलाई से स्कूल भी खोले जा सकते हैं। टीआईएफआर डीन डॉ. संदीप जुनेजा ने कहा कि यह सच है कि किसी स्टडी के पूवार्नुमानों में गलतियों की भी आशंका होती ही है। ऐसे में परिस्थितियों का मूल्यांकन करने के लिए जुलाई का समय सबसे ज्यादा मुफीद होगा। 

बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर ने मुंबई को सबसे ज्यादा प्रभावित किया था। इसकी वजह से सिर्फ अप्रैल महीने में ही 2.3 लाख मुंबई वासी प्रभावित हुए थे और तकरीबन 1 हजार 479 लोगों की जान गई थी। 1 मई को मुंबई में कोरोना से 90 मौतें दर्ज की गई थीं, जो इस साल एक दिन में सामने आया मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसे पहले पिछले साल 24 जून को मुंबई में एक दिन में सर्वाधिक 120 मौतें दर्ज की गई थीं।


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