बार्ज पी-305 हादसे में मरने वालों की संख्या 49 हुई, जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने लगीं एजेंसियां
मुंबई। चक्रवाती तूफान के कारण सोमवार शाम मुंबई के निकट अरब सागर में डूब गए बजरे (बार्ज) पी-305 में मरने वालों की संख्या 49 हो गई है। इस बजरे पर दुर्घटना के समय 261 लोग सवार थे। 186 को बचा लिया गया है। शेष की तलाश जारी है। 17 मई की शाम सात बजे बार्ज पी-305 के डूब जाने के बाद से ही भारतीय नौसेना व कोस्टगार्ड अपने कई जंगी जहाजों व हेलीकॉप्टरों की मदद से लोगों को ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं। दुर्घटना के समय बजरे पर सवार लोगों ने लाइफ जैकेट पहन रखी थीं। इसलिए चार दिन से लंबे खोज व बचाव अभियान में लगी नौसेना को उम्मीद है कि कुछ लोग जिंदा तैरते पाए जा सकते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह उम्मीद भी धूमिल पड़ती जा रही है। बुधवार देर रात तक 26 शव पाए गए थे। जबकि वीरवार को इनकी संख्या 49 हो गई है। 26 लापता लोगों की तलाश अभी भी जारी है।
भारतीय नौसेना के कमांडर अजय झा के मुताबिक, नौसेना मौसम की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपना खोज एवं बचाव अभियान जारी रखे हुए है। ऊंची लहरों, तेज हवाओं एवं बहुत कम दृश्यता के बीच नौसेना रात में भी सर्चलाइट के जरिए समुद्र की लहरों पर नजर रख रही है, ताकि तैरते हुए किसी भी व्यक्ति को बचाया जा सके। इस खोज अभियान में बार्ज पी-305 के अब तक नहीं मिले 26 लोगों के अलावा दो टग बोट (बजरों के खींचने वाली नौकाएं) के भी 11 लोगों की तलाश की जा रही है। कमांडर झा के अनुसार नौसेना अपना खोज अभियान अगले तीन दिन तक जारी रखेगी। नौसेना के पांच जंगी जहाज आईएनएस कोच्चि, आईएनएस कोलकाता, आईएनएस बेतवा, आईएनएस तेग एवं आईएनएस बियास के साथ उसके कई हेलीकाप्टर भी इस अभियान में लगे हैं। नौसेना के कई सी-किंग, चेतक, एएलएच एवं पी81 मैरीटाइम सर्विलांस हेलीकाप्टर्स सुबह से ही उस स्थान के आसपास समुद्र की लहरों पर मंडराना शुरू कर देते हैं, जहां बार्ज पी-305 दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।
इस बीच. नौसेना द्वारा बचाए गए लोगों की जुबानी बार्ज पी-305 की दुर्घटना के कारण भी सामने आने शुरू हो गए हैं। नौसेना द्वारा बचाए गए बार्ज पी-305 के चीफ इंजीनियर रहमान शेख के अनुसार यदि बजरे के कप्तान बलविंदर सिंह ने तूफान की सूचना मिलने के बाद सही समय पर बजरे को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का निर्णय ले लिया होता एवं बजरे पर रखे 16 में से 14 राफ्ट पंचर नहीं होते, तो बजरे पर सवार सभी लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती थीं। शेख ने तूफान की चेतावनी मिलने के बाद बार्ज के कप्तान को सुरक्षित स्थान पर चलने का सुझाव दिया था, लेकिन कप्तान उनकी सलाह को नजरंदाज कर दिया था।